Black Hole: गैलेक्सी के बीच मौजूद ब्लैक होल से पड़ सकता है सितारों के जन्म पर असर, दिखा 150 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर का नजारा
ब्लैक होल अंतरिक्ष के ऐसे क्षेत्र होते हैं, जहां ग्रैविटी इतना तीव्र होती है कि प्रकाश सहित कोई भी चीज इनसे बच नहीं सकती है। ये हर चीज को निगल लेते हैं।
Highlights
- सितारों के जन्म को प्रभावित करता है ब्लैक होल
- ब्लैक होल गैलेक्सी के केंद्र में मौजूद होते हैं
- 156 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर है IC 5063 गैलेक्सी
Supermassive Black Hole Formation of Stars: एस्ट्रोनॉमर्स की एक टीम ने खास मॉडल विकसित किया है, जिससे ये पता लगाने में मदद मिलेगी कि कोई बड़ा ब्लैक होल किस प्रकार सितारों के जन्म को प्रभावित कर सकता है। ऑब्जरवेटरी के डाटा से नतीजा निकला है कि सितारों के बीच में उनके बनने की प्रक्रिया इससे प्रभावित हो रही है। शोधकर्ताओं ने यूरोपियन साउदर्न ऑब्जर्वेटरी (ईएसओ), अटाकामा लार्ज मिलीमीटर अरे (एएलएमए) और वेरी लार्ज टेलीस्कोप (वीएलटी) से मिली जानकारी का इस्तेमाल जेट्स और इंटरस्टेलर क्लाउड्स (सितारों के बीच के बादल) में गैस के दबाव का पता लगाने के लिए किया है। बता दें ब्लैक होल अंतरिक्ष के ऐसे क्षेत्र होते हैं, जहां ग्रैविटी इतना तीव्र होती है कि प्रकाश सहित कोई भी चीज इनसे बच नहीं सकती है। ये हर चीज को निगल लेते हैं।
शोधकर्ताओं को पता चला है कि जेट के परिणामस्वरूप उनके रास्ते में आने वाले मॉलीक्यूलर बादलों के आंतरिक और बाहरी दबाव में बदलाव आया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अत्यधिक बड़े ब्लैक होल सभी गैलेक्सी के केंद्र में मौजूद होते हैं। जो भी पार्टिकल ब्लैक होल्स पर गिरता है, वह ब्लैक होल के चुंबकीय क्षेत्र में फंस जाता है और प्लाजमा के शक्तिशाली जेट के रूप में बाहर निकलता है। अगर आप इसे दूर से देखें, तो पाएंगे कि ब्लैक होल के केंद्र में दोनों तरफ से लंबा प्लाजमा निकल रहा है। हालांकि IC 5063 गैलेक्सी के मामले में ये बात अलग है।
156 मिलियन प्रकाश वर्ष है दूरी
IC 5063 गैलेक्सी पृथ्वी से 156 मिलियन प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। इसमें जेट (जिससे पार्टिकल्स निकलते हैं) सीधे न निकलकर घने मॉलीक्यूलर बादलों में छा जाते हैं। इन जेट्स को बनाने का काम भी ब्लैक होल ही करता है। यह इन मॉलीक्यूलर बादलों को प्रभावित कर सकते हैं। यही चीन ग्रैविटी में अस्थिरता का कारण बनती है और फिर गैस के घनत्व पर असर डालती है, जिसकी वजह से सितारे बनते हैं। ये स्टडी नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित की गई है। टीम ने इसके लिए ऑब्जरवेटरी डाटा की मदद से अडवांस एस्ट्रोनॉमिकल एल्गोरिदम का इस्तेमाल कर नतीजे एकत्रित किए हैं।
स्टडी के सह-लेखक और यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोन में डीएफजी फेलो डॉ. थॉमस बिसबस ने कहा, 'हम हजारों एस्ट्रोनॉमिकल सिमुलेशन को देखते हैं, ताकि IC 5063 की संभावनाओं का पता चल सके।' स्टडी के प्रमुख लेखक प्रोफेसर किलिओपी दसायारा के अनुसार, 'रिसर्च के नतीजों से पता चला है कि गैलेक्सी के भीतर बड़े ब्लैक होल मौजूद हो सकते हैं, और यह बड़े स्तर पर सितारों के बनने की प्रक्रिया यानी उनके जन्म को भी प्रभावित कर सकते हैं।'
पहली तस्वीर की गई जारी
करीब दो महीने पहले खबर आई थी कि खगोलविदों ने ‘हमारी गैलेक्सी’ के बीच में स्थित ‘सुपरमैसिव ब्लैक होल’ की पहली तस्वीर जारी की है। द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित खोज इस बात का बड़ा सबूत देती है कि खोजी गई वस्तु वास्तव में एक ‘ब्लैक होल’ है और यह सूर्य से 40 लाख गुना अधिक विशाल है। यह तस्वीर ‘इवेंट होराइजन टेलीस्कोप (ईएचटी) कलैबरेशन’ नामक वैश्विक अनुसंधान टीम द्वारा तैयार की गई है। इसके लिए उसने रेडियो टेलीस्कोप के विश्वव्यापी नेटवर्क का सहारा लिया है।
खोज से स्पष्ट हुआ है कि ‘सैजिटेरियस ए’ के रूप में जानी जाने वाली चीज एक ब्लैक होल है और तस्वीर इसका पहला प्रत्यक्ष दृश्य प्रमाण प्रदान करती है। खगोलविदों ने कहा कि वे धरती से लगभग 27000 प्रकाशवर्ष दूर स्थित इस ब्लैक होल को लेकर काफी उत्सुक हैं। इस ब्लैक होल की तस्वीर लेना विश्व के 80 संस्थानों के 300 से अधिक अनुसंधानकर्ताओं के प्रयासों से संभव हुआ है।