भारत-अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के चतुर्पक्षीय सुरक्षा संवाद संगठन (क्वाड) ने चीन को बड़ा झटका देने की तैयारी में है। दरअसल क्वाड के इन्वेस्टर नेटवर्क ने उच्च प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में चीन से बड़ा खतरा जताया है। इसका मतलब साफ है कि क्वाड देश समेत अन्य देश भी हाई टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में चीनी निवेश से परहेज कर सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो यह चीन के प्रौद्योगिकी बाजार के लिए सबसे बड़ा झटका होगा। चीन पर पहले भी टेक्नोलॉजी के नाम पर विभिन्न देशों में जासूसी का आरोप लगता रहा है। ऐसे में चीनी टेक्नोलॉजी लगातार संदेह के घेरे में है।
क्वाड इन्वेस्टर नेटवर्क के चेयरमैन कार्ल मेहता ने कहा कि उच्च प्रौद्योगिकी के ऐसे कई क्षेत्र हैं जिन पर वर्तमान में चीन का प्रभुत्व है, जो एक बड़े खतरे का संकेत है। एशिया पैसिफिक इकॉनोमिक कॉपरेशन (एपीईसी) लीडरशिप समिट के मौके पर मेहता ने कहा कि उन क्षेत्रों में जहां चीन की बाजार हिस्सेदारी 70 प्रतिशत, 80 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत तक है। वहां खतरा अधिक है। इसलिए सभी देशों को चीन से सावधान रहना होगा।
परमानेंट मैग्नेट का 100 फीसदी निर्माण करता है चीन
कार्ल मेहता ने कहा, ‘‘ मिसाल के तौर ‘परमानेंट मैग्नेट’ का 400 अरब अमेरिकी डॉलर का बाजार है और इसका करीब 100 प्रतिशत निर्माण अब चीन में होता है। वे खनन को नियंत्रित करते हैं, वे स्पष्ट रूप से प्रसंस्करण को नियंत्रित करते हैं।’’ क्वाड इन्वेस्टर नेटवर्क पूरे क्वाड देशों में निवेशकों, उद्योग और नवप्रवर्तकों के लिए प्रमुख प्रौद्योगिकी नेटवर्क है। क्वाड देशों के प्रतिनिधि इसकी नेतृत्व टीम और सलाहकार बोर्ड के सदस्य हैं। ‘क्वाड’ (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। क्वाड इन्वेस्टर नेटवर्क ने मंगलवार को ‘एप्सिलॉन एडवांस्ड मैटेरियल्स ऑफ इंडिया’ के साथ अपने सहयोग की घोषणा की। इसने हाल ही में उत्तरी कैरोलिना में 65 करोड़ अमेरिकी डॉलर की बैटरी सामग्री तथा घटक संयंत्र बनाने का निर्णय किया है। (भाषा)
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