क्वाड देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ड्रैगन को पस्त करने की बनाई चतुर्दिक योजना, घबराया चीन
भारत-अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के क्वाडिलैट्रल सिक्योरिटी डॉयलाग (क्वाड) से चीन घबरा गया है। क्वाड देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे पर शिकंजा कसने के लिए विशेष योजना बनाई है। इससे ड्रैगन को पसीना आना शुरू हो गया है।
Quad Countries Challenge China: भारत-अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के क्वाडिलैट्रल सिक्योरिटी डॉयलाग (क्वाड) से चीन घबरा गया है। क्वाड देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे पर शिकंजा कसने के लिए विशेष योजना बनाई है। इससे ड्रैगन को पसीना आना शुरू हो गया है। शुक्रवार को अमेरिका और जापान ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य दबदबे के बीच कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर वे यह सुनिश्चित करेंगे कि क्वाड दूसरों की भलाई के लिए काम करने की एक ताकत बना रहे।
व्हाइट हाउस में शुक्रवार को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के बीच बैठक के बाद दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान में यह बात कही। बयान में कहा गया, ‘‘हमारी नींव के रूप में अटूट द्विपक्षीय संबंध के साथ हम हिंद-प्रशांत और दुनिया के फायदे के लिए क्षेत्र में तथा उसके बाहर अन्य पक्षों के साथ भी साझेदारी करेंगे।’’ इसमें कहा गया, ‘‘ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ मिलकर हम यह सुनिश्चित करेंगे कि क्वाड दूसरों की भलाई के लिए काम करने की ताकत, वैश्विक स्वास्थ्य, साइबर सुरक्षा, जलवायु, अहम और उभरती प्रौद्योगिकियों तथा समुद्री क्षेत्र की जागरूकता पर परिणाम देने समेत क्षेत्र के लिए ठोस लाभ लाने के लिए प्रतिबद्ध बना रहे।
हिंद-प्रशांत से लेकर दक्षिण चीन सागर में चीन की दादागीरी होगी खत्म
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य दबदबे के बीच बनाए गए चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (क्वाड) में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के लगभग सभी हिस्सों पर अपना दावा जताता है। मगर अब चीन की दादागीरी को क्वाड देश तहस-नहस करने आ गए हैं। चीन जिन हिस्सों पर दावा करता है, उस पर ताइवान, फिलीपीन, ब्रूनेई, मलेशिया और वियतनाम भी अपना दावा जताते हैं। बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं। यानि उसका पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ भी समुद्री विवाद है। संयुक्त बयान के अनुसार, जापान और अमेरिका आसियान केंद्रीयता और एकता के साथ ही हिंद-प्रशांत पर आसियान दृष्टिकोण का समर्थन करते रहेंगे।
अमेरिका और जापान ने दिया चीन को कड़ा संदेश
बाइडन और किशिदा ने संयुक्त बयान में कहा, ‘‘आज हमारा सहयोग अभूतपूर्व है जो मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत और शांतिपूर्ण एवं समृद्ध दुनिया के हमारे साझा दृष्टिकोण में निहित है जो कानून के शासन समेत हमारे साझा मूल्यों से निर्देशित है।’’ इससे पहले ओवल ऑफिस में संयुक्त मीडिया सम्मेलन में बाइडन ने कहा कि पहले कभी अमेरिका, जापान के इतना करीब नहीं रहा। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले साल जापान में आपने मुझसे कहा था और मैं कहता हूं, हम दो राष्ट्र हैं जो मूलभूत मूल्य साझा करते हैं। ये साझा लोकतांत्रिक मूल्य हमारी ताकत, हमारे गठबंधन का स्रोत हैं और सभी लोगों के लिए काम करने में सक्षम होने का आधार हैं। बाइडन ने कहा, ‘‘हम रक्षा खर्च में जापान की ऐतिहासिक वृद्धि और नयी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के निर्माण पर अपने सैन्य गठबंधन का आधुनिकीकरण कर रहे हैं। मुझे स्पष्ट रहने दीजिए, अमेरिका पूरी तरह इस गठबंधन और सबसे महत्वपूर्ण जापान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम हिंद-प्रशांत आर्थिक रूपरेखा समेत तकनीकी और आर्थिक मुद्दों पर निकटता से काम कर रहे हैं।’’ वाशिंगटन की पहली आधिकारिक यात्रा पर पहुंचे प्रधानमंत्री किशिदा ने कहा कि जापान और अमेरिका हाल के इतिहास में सबसे चुनौतीपूर्ण और जटिल सुरक्षा माहौल का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में शांति एवं समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए जापान ने पिछले साल एक नयी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति बनाई। राष्ट्रपति बाइडन ने जापान का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का दो साल का कार्यकाल शुरू होने तथा जनवरी महीने के लिए अध्यक्षता पर भी उसे बधाई दी।