भारत से निपटने के लिए अमेरिका से 'सौदा' कर रहे पाकिस्तानी सेना प्रमुख बाजवा, तालिबान के खिलाफ करने जा रहे ये बड़ा काम, बन रही सहमति
Pakistan US Relations: बाइडेन सरकार चाहती है कि पाकिस्तान उसे अपना हवाई क्षेत्र इस्तेमाल करने की इजाजत दे, ताकि वह अफगानिस्तान में हवाई हमले कर सके और वहां खुफिया निगरानी कर पाए। इस मामले में दोनों देशों के बीच लगभग एक डील पर सहमति बन गई है।
Highlights
- अमेरिका में हैं पाकिस्तानी सेना प्रमुख बाजवा
- अमेरिका और पाकिस्तान कर रहे डील
- शहबाज सरकार के आते ही अमेरिका बदला
Pakistan US Relations: अमेरिका और भारत के दुश्मन देश पाकिस्तान के बीच इस वक्त रिश्ते काफी दोस्ताना हो गए हैं। अमेरिका ने हाल में ही पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमानों के रखरखाव के लिए 45 करोड़ डॉलर दिए हैं। इसके अलावा पाकिस्तान के सबसे ताकवर शख्स सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा इस वक्त पाकिस्तान के दौरे पर हैं। बाजवा को खुश करने के लिए अमेरिका ने उनका ठीक उसी तरह स्वागत किया है, जैसा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का किया गया था। अब अमेरिका और पाकिस्तान के बीच दिखाई दे रहे इस प्यार के पीछे की असल वजह सामने आ गई है। अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, बाजवा का उद्देश्य भारत के साथ रिश्तों का प्रबंधन करना और अमेरिकी सेना की मदद हासिल करना है।
बाइडेन सरकार चाहती है कि पाकिस्तान उसे अपना हवाई क्षेत्र इस्तेमाल करने की इजाजत दे, ताकि वह अफगानिस्तान में हवाई हमले कर सके और वहां खुफिया निगरानी कर पाए। इस मामले में दोनों देशों के बीच लगभग एक डील पर सहमति बन गई है। अफगानिस्तान से शर्मनाक तरीके से अमेरिका के बाहर आने के बाद से ये देश तालिबान सरकार के नियंत्रण में है। तालिबान शासन में अफगानिस्तान एक बार फिर आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन गया है। आतंकवादी संगठन अल-कायदा, आईएसकेपी (इस्लामिक स्टेट-खुरासान), जैश-ए-मोहम्मद एक बार फिर अफगानिस्तान में अपनी ताकत जुटा रहे हैं। हाल में ही पाकिस्तान की मदद से अमेरिका ने राजधानी काबुल में अल-कायदा के नेता अयमान अल-जवाहिरी को मारा था।
अमेरिका के लिए पाकिस्तान क्यों जरूरी?
अमेरिका के लिए पाकिस्तान इस वक्त बहुत जरूरी हो गया है, ताकि वह अफगानिस्तान में आतंकी हमले और निगरानी कर सके। अमेरिका के अधिकतर सैन्य ठिकाने खाड़ी देशों में हैं, जहां से उसके घातक ड्रोन उड़ान भरते हैं और पाकिस्तान होते हुए अफगानिस्तान में प्रवेश करते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार ने अमेरिका को अपना हवाई क्षेत्र देने से मना कर दिया था। लेकिन अब नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के शासन में स्थिति बदल गई है।
सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, बाइडेन प्रशासन ने नेताओं से कहा है कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ डील को अंतिम रूप देने के लिए अंतिम चरण में है। इस डील के बाद अमेरिका के ड्रोन और लड़ाकू विमान आसानी से अफगानिस्तान में हमले और खुफिया निगरानी कर सकेंगे।
शर्तें फिलहाल फाइनल नहीं हुई हैं
सीएनएन ने बाइडेन प्रशासन के एक सूत्र के हवाले से कहा है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ने हेतु अमेरिकी मदद लेने और भारत के साथ रिश्तों का प्रबंधन करने के बदले अमेरिका को अफगानिस्तान तक जाने के लिए हवाई मार्ग का ऑफर दिया है। एक अन्य सूत्र ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच अब भी बातचीत चल रही है और डील की शर्तों को अभी फाइनल नहीं किया गया है।
ये खुलासा ऐसे वक्त पर हुआ है, जब अमेरिका यह सुनिश्चित करना चाहता है कि वह अफगानिस्तान में आईएसआईएस खुरासा प्रोवींस यानी आईएसकेपी के खिलाफ सैन्य अभियान चला सके। करीब दो दशक बाद अमेरिका की सेना बीते साल अफगानिस्तान से बाहर निकली थी और उसके यहां से बाहर जाते ही आतंकियों ने अपने पैर पसारना शुरू कर दिया है।
अकेला पाकिस्तान ही विकल्प क्यों है?
अमेरिका ने अभी तक इस सीक्रेट डील का खुलासा नहीं किया है, न ही उसने ये बताया है कि वह पाकिस्तान को इसके बदले में क्या देगा। पाकिस्तान के अलावा अमेरिका विकल्प के तौर पर उज्बेकिस्तान और तजाकिस्तान को भी देख रहा है। हालांकि इससे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भड़कने का खतरा बढ़ सकता है। तो ऐसी स्थिति में अमेरिका के पास विकल्प के तौर पर केवल पाकिस्तान बचता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने घोषणा की थी कि वह अफगानिस्तान में आतंक रोधी ऑपरेशन चलाना जारी रखेंगे। यही वजह है कि बाइडेन प्रशासन पाकिस्तान पर इतना प्यार उड़ेल रहा है। अगर ये डील सफल हो जाती है तो पाकिस्तान और अमेरिका पर तालिबान का भड़कना पूरी तरह संभव है। वो भी तब, जब अफगानिस्तान की तालिबान सरकार और पाकिस्तान के बीच के रिश्ते अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। तालिबान ने जवाहिरी की मौत के बाद पाकिस्तान पर आरोप लगाया है कि उसी ने अमेरिका को अपना हवाई क्षेत्र इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी।