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अमेरिका और इजरायल के रिश्तों में पड़ी दरार, नेतन्याहू ने ठुकरा दी बायडेन की ये सलाह

नेतन्याहू और उनके सहयोगियों ने उनकी सरकार गठित होने के कुछ दिन बाद ही जनवरी में न्यायिक बदलाव की घोषणा की थी, जिसने इजरायल को पिछले कुछ दशकों के सबसे गंभीर घरेलू संकट में धकेल दिया था।

इजरायल के...- India TV Hindi Image Source : AP FILE इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बायडेन।

जेरूसलम: अमेरिका और इजरायल के खराब हो रहे रिश्तों पर बुधवार को एक और मुहर लग गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बायडेन ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को न्यायिक प्रणाली में सुधार संबंधी विवादित योजना को वापस लेने की सलाह दी थी, लेकिन नेतन्याहू ने इसे मानने से इनकार कर दिया है। इतना ही नहीं, उन्होंने बायडेन को जवाब में यहां तक कह दिया कि उनका देश अपने फैसले खुद करता है, भले ही सलाह सबसे अच्छे मित्र द्वारा ही क्यों न दी गई हो।

नेतन्याहू ने स्थगित कर दी है योजना
दोनों देशों के नेताओं के बीच सार्वजनिक रूप से इस प्रकार असहमति व्यक्त करना आम बात कतई नहीं है। इस घटना से यह भी पता चलता है कि नेतन्याहू के न्यायिक बदलावों के प्रस्ताव को लेकर इजरायल और अमेरिका के बीच मतभेद पैदा हो गए हैं। बता दें कि नेतन्याहू की न्यायिक सुधार योजना का देश में अभूतपूर्व तरीके से विरोध हुआ और लोगों के सड़कों पर उतरने के कारण घरेलू संकट की स्थिति बनने लगी, जिसके बाद नेतन्याहू ने इस योजना को स्थगित कर दिया था।

Image Source : AP Fileनेतन्याहू के खिलाफ पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे थे।

‘इजरायल अपने फैसले खुद लेता है’
पत्रकारों ने जब बायडेन से मंगलवार को सवाल किया कि उन्हें न्यायिक सुधार संबंधी विधेयक को लेकर क्या उम्मीद है, तो अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘मैं उम्मीद करता हूं कि वह इसे वापस ले लें।’ बायडेन ने कहा कि नेतन्याहू की सरकार ‘इस रास्ते पर आगे बढ़ना जारी नहीं रख सकती’ और उन्होंने इस योजना को लेकर समझौता करने का आग्रह किया। नेतन्याहू ने इसके जवाब में कहा कि इजरायल एक संप्रभु देश है और वह ‘अपने फैसले अपने लोगों की इच्छा के अनुसार लेता है, न कि अन्य देशों के दबाव में, भले ही वह सबसे अच्छा मित्र ही क्यों न हो।’

गंभीर घरेलू संकट में फंसा इजरायल
बता दें कि नेतन्याहू और उनके सहयोगियों ने उनकी सरकार गठित होने के कुछ दिन बाद ही जनवरी में न्यायिक बदलाव की घोषणा की थी, जिसने इजरायल को पिछले कुछ दशकों के सबसे गंभीर घरेलू संकट में धकेल दिया था। पूरे देश में इस घोषणा के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए थे और खुद नेतन्याहू की पार्टी लिकुड में उनकी लोकप्रियता घट गई थी।

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