वाशिंगटनः अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चांद पर पानी की खोज करने वाले सबसे बड़े मिशन की तैयारी कर ली थी। इसके तहत नासा चांद पर एक लैंडर भेजने वाला था। मगर नासा का यह सपना अब टूटता नजर आ रहा है। दरअसल नासा ने चंद्रमा पर पानी की खोज करने के लिए जिस लैंडर को भेजने वाला था, उसकी लागत लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसा में नासा ने कहा कि वह लागत में वृद्धि और प्रक्षेपण में देरी होने के कारण, पानी की खोज के लिए चंद्रमा पर रोवर भेजने के मिशन को रद्द कर रहा है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने बुधवार को कहा कि ‘वाइपर’ रोवर को ‘एस्ट्रोबोटिक टेक्नोलॉजी’ द्वारा उपलब्ध कराए गए एक लैंडर के जरिये 2023 के अंत तक प्रक्षेपित किया जाना था लेकिन अतिरिक्त परीक्षण और लागत बढ़ने के कारण इस मिशन में देरी होती रही जिससे अन्य परियोजनाओं पर खतरा मंडराने लगा है। नासा ने बताया कि रोवर का उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर खोजबीन करना था। इसके विकास पर अभी तक करीब 45 करोड़ डॉलर खर्च किए जा चुके हैं। अपोलो 11 मिशन की 55वीं वर्षगांठ से कुछ दिन पहले यह घोषणा की गयी है।
नासा ने बताई अपनी योजना
अपोलो 11 नील आर्मस्ट्रांग और बज आल्ड्रिन को लेकर 20 जुलाई 1969 को चंद्रमा पर पहुंचा था। नासा ने बताया कि उसकी योजना अन्य परियोजनाओं के जरिए चंद्रमा पर बर्फ की मौजूदगी का अध्ययन करना है। एस्ट्रोबोटिक की अब भी अगले साल के अंत तक अपने ग्रिफिन चंद्रमा लैंडर को प्रक्षेपित करने की योजना है। (एपी)
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