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Hindi News विदेश अमेरिका DART Mission: अब बच पाएगी हमारी पृथ्वी, नासा का डार्ट मिशन सफल, उल्कापिंड से हुई स्पेसक्राफ्ट की जोरदार टक्कर, देखें VIDEO

DART Mission: अब बच पाएगी हमारी पृथ्वी, नासा का डार्ट मिशन सफल, उल्कापिंड से हुई स्पेसक्राफ्ट की जोरदार टक्कर, देखें VIDEO

NASA DART Mission: उल्कापिंड डाइमॉरफोस धरती के लिए कोई खतरा नहीं था, लेकिन इससे अंतरिक्षयान की टक्कर कराकर ये पता लगाने की कोशिश की गई है कि क्या भविष्य में उल्कापिंड की टक्कर से धरती को बचाने में मदद मिलेगी।

NASA DART Mission Successful- India TV Hindi Image Source : INDIA TV NASA DART Mission Successful

Highlights

  • नासा का डार्ट मिशन हुआ सफल
  • अंतरिक्षयान की हुई उल्कापिंड से टक्कर
  • भविष्य में धरती को बचाना संभव हुआ

NASA DART Mission: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा को अपने डार्ट मिशन में सफलता मिल गई है, इस मिशन को सुबह 4 बजे के करीब पूरा कर लिया गया है। इसके तहत नासा के अंतरिक्षयान की अंतरिक्ष में एक उल्कापिंड से जोरदार टक्कर हुई है। अंतरिक्ष में मौजूद धरती के लिए सबसे बड़ा खतरा उल्कापिंड हैं। धरती और मानवता को इन उल्कापिंडों से बचाने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बीते साल डार्ट मिशन लॉन्च किया था। यहां डार्ट का मतलब, डबल एस्टेरॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट से है। यह इस तरह का पहला ऐसा मिशन है। नासा ने इसे लेकर एक वीडियो भी जारी किया है, जिसमें सभी वैज्ञानिक मिशन की सफलता को लेकर जश्न मनाते दिख रहे हैं। वीडियो में ये भी दिखाया गया है कि अंतरिक्षयान किस तरह उल्कापिंड से टकराया है। 

Image Source : APNASA DART Mission Successful

उल्कापिंड डाइमॉरफोस धरती के लिए कोई खतरा नहीं था, लेकिन इससे अंतरिक्षयान की टक्कर कराकर ये पता लगाने की कोशिश की गई है कि क्या भविष्य में उल्कापिंड की टक्कर से धरती को बचाने में मदद मिलेगी। नासा के प्लैनेटरी साइंस डिवीजन की डायरेक्टर लॉरी ग्लेज ने कहा, 'हम मानव जाति के एक नए युग की शुरुआत कर रहे हैं, एक ऐसा युग जिसमें हम संभावित रूप से खतरनाक उल्कापिंड जैसी किसी भी चीज से खुद को बचाने की क्षमता रख सकेंगे। क्या कमाल की बात है। हमारे पास पहले कभी यह क्षमता नहीं थी।' टक्कर के प्रभाव के वक्त डिडिमोस और डाइमॉरफोस धरती के काफी करीब थे, यानी 6.8 मिलियन मील (11 मिलियन किलोमीटर) की दूरी पर। टीम का अनुमान है कि अंतरिक्ष यान ने उल्कापिंड को अंतरिक्ष चट्टान के केंद्र से लगभग 55 फीट (17 मीटर) दूर एक हिस्से पर टक्कर मारी है।

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दो महीने में मिलेगी पूरी जानकारी
  
डार्ट मिशन की टीम के सदस्यों का कहना है कि वैज्ञानिकों को ये पता लगाने में करीब दो महीने लग जाएंगे कि क्या इस टक्कर से उल्कापिंड की दिशा में बदलाव हुआ है या फिर नहीं। डाइमॉरफोस एक छोटा चंद्रमा है, जो धरती के पास मौजूद उल्कापिंड डिडिमोस का चक्कर लगा रहा है। नासा के अधिकारियों का कहना है कि इस उल्कापिंड से धरती को कोई खतरा नहीं है लेकिन इसका चुनाव इसलिए किया गया क्योंकि यह टेस्टिंग के लिहाज से धरती से उचित दूरी पर था। ऐसे में अगर इसकी दिशा बदलती है, तो भविष्य में इसी तरीके से धरती के लिए संभावित तौर पर खतरा माने जाने वाले उल्कापिंडों की दिशा को भी बदला जा सकेगा। यह नासा का पहला ऐसा मिशन है, जिससे ये पता लगाने की कोशिश की गई है कि तकनीक का इस्तेमाल कर हम अपने ग्रह को बचा सकते हैं। मैरीलैंड के लॉरेल में जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी एप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी के स्पेस एक्सप्लोरेशन सेक्टर के प्रमुख रॉबर्ट ब्राउन ने कहा, 'हम पहली बार ब्रह्मांड में मौजूद किसी चीज की दिशा बदलेंगे।'

अभी तक नासा ने नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट्स यानी धरती के पास की 8000 से अधिक चीजों का पता लगाया है। वर्तमान में कोई भी उल्कापिंड पृथ्वी के लिए सीधे तौर पर खतरा नहीं है, लेकिन नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट्स में 27,000 से अधिक उल्कापिंड सभी आकारों में मौजूद हैं। इस मिशन का फायदा ये होगा कि अगर भविष्य में किसी उल्कापिंड के धरती से टकराने की आशंका होती है, तो वक्त रहते उसकी दिशा को बदला जा सकेगा। नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट्स वो उल्कापिंड और धूमकेतु होते हैं, जो पृथ्वी के 30 मिलियन मील (48.3 मिलियन किलोमीटर) के दायरे में होते हैं। 

नासा और दुनिया की बाकी अंतरिक्ष एजेंसियों का सबसे अधिक ध्यान उन नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट्स पर है, जो धरती के लिए खतरा साबित हो सकते हैं। डिडिमोस उल्कापिंड का व्यास करीब 2560 फीट (780 मीटर) है, जिसके चारों ओर चक्कर लगाता हुआ एक छोटा चंद्रमा जैसा पत्थर है, जिसे डाइमॉरफोस कहा जाता है, अंतरिक्षयान इसी से टकराया है। इसका व्यास 525 फीट (160 मीटर) है। यानी नासा ने इस छोटे चंद्रमा जैसे पत्थर को निशाना बनाया है। जो बाद में डिडिमोस से टकराया। अब धरती पर मौजूद टेलीस्कोप से इन दोनों की गति में होने वाले बदलाव का अध्ययन किया जाएगा।

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LICIACube से की गई है रिकॉर्डिंग

एस्ट्रोनॉमर्स ने दो दशक पहले डिडिमोस की खोज की थी। डार्ट अंतरिक्षयान की टक्कर की रिकॉर्डिंग लाइट इटैलियन क्यूबसैट फॉर इमेजिंग एस्टेरॉइड्स यानी LICIACube से की गई। यह इटली की अंतरिक्ष एजेंसी की सैटेलाइट है। इसे अंतरिक्षयान से तैनात किया गया। जो यात्रा कर अंतरिक्षयान के पीछे तक गई, ताकि वहां क्या हो रहा है, इसकी रिकॉर्डिंग कर सके। ऑप्टिकल नेविगेशन के लिए डीमोस रिकॉनिसेंस एंड एस्टेरॉयड कैमरा की मदद ली गई, जिसने अंतरिक्षयान को गाइड किया कि किस तरह छोटे से चंद्रमा से टकराना है। 

घटना के दौरान की तस्वीरें प्रति एक सेकंड की दर से धरती पर भेजी गईं। डाइमॉरफोस से टकराने के दौरान अंतरिक्षयान की गति लगभग 13,421 मील प्रति घंटा (21,600 किलोमीटर प्रति घंटा) थी। डार्ट अंतरिक्षयान से ये भी पहली बार पता चला कि डाइमॉरफोस कैसा दिखता है। टीम पीछे छोड़े गए इमपैक्ट क्रेटर के बारे में और जानने के लिए उत्सुक है, जिसका आकार लगभग 33 से 65 फीट (10 से 20 मीटर) होने का अनुमान है। यहां तक ​​कि क्रेटर में अंतरिक्षयान के टुकड़े भी हो सकते हैं। यहां इमपैक्ट क्रेटर का मतलब उल्कापिंड की किसी चीज टक्कर होने के बाद वहां बनने वाले गड्ढे से है।

प्रभाव के तीन मिनट बाद क्यूबसैट ने तस्वीरें और वीडियो लेने के लिए डाइमॉरफोस से उड़ान भरी। इसकी तस्वीरें आने वाले दिनों या हफ्तों में जारी की जाएंगी। डाइमॉरफोस को इस मिशन के लिए इसलिए चुना गया था क्योंकि इसका आकार उन उल्कापिंड के जैसा है, जो पृथ्वी के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। अंतरिक्षयान डाइमॉरफोस से लगभग 100 गुना छोटा है, इसलिए इसने उल्कापिंड को खत्म नहीं किया। अगर डार्ट डाइमॉरफोस को मारने से चूक गया होता, तो अंतरिक्षयान को एक ऐसी कक्षा में स्थापित कर दिया जाता, जिससे दो साल बाद इसकी दोबारा टक्कर कराई जाती। 

चक्कर लगाने के समय में कितना बदलाव?

इस टक्कर से केवल डाइमॉरफोस की गति को बदलेगी क्योंकि यह डिडिमोस की परिक्रमा 1 फीसदी तक करता है, जो बहुत अधिक नहीं है लेकिन यह चंद्रमा की कक्षीय अवधि को बदल देगा। यानी चक्कर लगाने के समय को बदलेगा। डाइमॉरफोस को डिडिमोस का चक्कर लगाने में 11 घंटे 55 मिनट का वक्त लगता है। लेकिन इस टक्कर से पड़े प्रभाव के बाद ये वक्त बदलकर 11 घंटे और 45 मिनट हो जाएगा। लेकिन असल में समय में कितना बदलाव होगा, ये भविष्य में ही अवलोकन करने पर पता चलेगा। 

एस्ट्रोनॉमर्स बाइनरी उल्कापिंड सिस्टम का निरीक्षण करने के लिए धरती पर आधारित टेलीस्कोप का इस्तेमाल करेंगे और देखेंगे कि डाइमॉरफोस की कक्षीय अवधि कितनी बदली है, जो यह निर्धारित करेगी कि डार्ट मिशन सफल रहा है या नहीं। अंतरिक्ष आधारित टेलीस्कोप हबल, वेब और नासा के लूसी मिशन ने भी घटना का अवलोकन किया है। डार्ट और हेरा से एकत्रित डाटा उल्कापिंडों की रक्षा करने में मदद करेंगे। विशेष रूप से यह समझने में कि किस तरह की फोर्स उन नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट्स की दिशा बदल सकती है, जिनके हमारी पृथ्वी के टकराने की आशंका है।

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