A
Hindi News विदेश अमेरिका Landsat 50 Years : लैंडसैट सैटेलाइट को 50 साल पूरे, इंसान अंतरिक्ष से देख पाता है अपनी पृथ्वी, इसने कैसे बढ़ाई हमारे ग्रह की उम्र?

Landsat 50 Years : लैंडसैट सैटेलाइट को 50 साल पूरे, इंसान अंतरिक्ष से देख पाता है अपनी पृथ्वी, इसने कैसे बढ़ाई हमारे ग्रह की उम्र?

इस समय लैंडसैट 8 और लैंडसैट 9 ग्रह की परिक्रमा कर रहे हैं और अमेरिका के ‘नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ (नासा) और यूएस जियोलॉजिकल सर्वे एक नए लैंडसैट मिशन की योजना बना रहे हैं।

Landsat satellite 50 years- India TV Hindi Image Source : TWITTER Landsat satellite 50 years

Highlights

  • लैंडसैट सैटेलाइट से धरती की आयु बढ़ी
  • सैटेलाइट से पता चला धरती का असल हाल
  • पृथ्वी की तस्वीरों को मिनटों में कैद किया

Landsat Satellite 50 Years Completed: अमेरिकी वैज्ञानिकों ने 50 साल पहले एक सैटेलाइट लॉन्च की थी, जिसने दुनिया को देखने के हमारे तरीके को बदल दिया। इस सैटेलाइट ने पृथ्वी की सतह की तस्वीरों को मिनटों में कैद कर लिया था। इन तस्वीरों से पता चला कि कैसे जंगल की आग ने भूमि को जला दिया, कैसे खेतों ने जंगलों को नष्ट कर दिया और कैसे अन्य कई तरीकों से मनुष्य ग्रह का चेहरा बदल रहा था। लैंडसैट सीरीज की पहली सैटेलाइट 23 जुलाई, 1972 को लॉन्च की गई थी। इसके बाद इस सीरीज की आठ अन्य सैटेलाइट लॉन्च की गईं, जिन्होंने समान दृश्यों की तस्वीरें हमें मुहैया कराईं, ताकि समय के साथ होने वाले बदलाव का पता लगाया जा सके, लेकिन पहले से अधिक शक्तिशाली उपकरणों की मदद से यह काम किया गया। 

इस समय लैंडसैट 8 और लैंडसैट 9 ग्रह की परिक्रमा कर रहे हैं और अमेरिका के ‘नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ (नासा) और यूएस जियोलॉजिकल सर्वे एक नए लैंडसैट मिशन की योजना बना रहे हैं। इन सैटेलाइट से मिलने वाली तस्वीरों और डाटा का उपयोग दुनिया भर में वनों की कटाई और बदलते परिदृश्य, शहरी गर्म स्थलों का पता लगाने और नए नदी बांधों के प्रभाव को समझने एवं कई अन्य परियोजनाओं के लिए किया जाता है। इनकी मदद से समुदायों को उन जोखिमों से निपटने में कई बार मदद मिलती है, जिनका जमीन से देखने पर पता नहीं चल पाता।

‘द कन्वरसेशन’ के संग्रह के अनुसार लैंडसैट की उपयोगिता के तीन उदाहरण इस प्रकार है-

अमेजन में होने वाले बदलावों पर नजर रखना

जब 2015 में ब्राजील के अमेजन में बेलो मोंटे बांध परियोजना पर काम शुरू हुआ, तो शिंगु नदी के बिग बेंड के पास रहने वाली स्वदेशी जनजातियों ने नदी के प्रवाह में बदलाव को महसूस किया। वे भोजन और परिवहन के लिए जिस पानी पर निर्भर थे, वह गायब हो रहा था। नदी का 80 प्रतिशत जल पनबिजली बांध की ओर मोड़ा जाने लगा। बांध को चलाने वाले संघ ने तर्क दिया कि इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि जल प्रवाह में बदलाव से मछलियों को नुकसान हुआ है, लेकिन वाशिंगटन विश्वविद्यालय के प्रीतम दास, फैसल हुसैन, होरोउर हेलगसन और शाहजेब खान ने लिखा कि उपग्रह से देखने पर बेलो मोंटे बांध परियोजना के प्रभाव का स्पष्ट प्रमाण मिला। 

लैंडसैट कार्यक्रम के मिले सैटेलाइट डाटा का उपयोग करते हुए दिखाया गया कि कैसे बांध ने नदी के जल विज्ञान को नाटकीय रूप से बदल दिया। शहर गर्म हो रहे हैं और उनके निकट स्थित कुछ क्षेत्र उनसे भी अधिक गर्म हो रहे हैं। लैंडसैट के उपकरण सतह के तापमान को भी माप सकते हैं, जिससे वैज्ञानिकों को वैश्विक तापमान में वृद्धि के साथ-साथ शहरों की सड़कों पर गर्मी के जोखिम का पता लगाने में मदद मिलती है। 

इंडियाना विश्वविद्यालय के डेनियल पी. जॉनसन ने कहा, ‘शहर आम तौर पर आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक गर्म होते हैं, लेकिन शहरों के भीतर भी, कुछ आवासीय क्षेत्र कुछ ही मील दूर स्थित अन्य क्षेत्रों की तुलना में खतरनाक रूप से गर्म हो जाते हैं।’ इस जानकारी की मदद से लोगों को गर्मी से बचाने के लिए इन क्षेत्रों में शीतलन केंद्र और अन्य कार्यक्रम शुरू किए जा सकते हैं।

‘भूतिया जंगलों’ का निर्माण

साल-दर-साल एक ही क्षेत्र की तस्वीरें लेने वाली सैटेलाइट की मदद से दुर्गम क्षेत्रों में हो रहे बदलाव का पता लगाने में मदद मिली। वे बर्फ और बर्फ के आवरण और अमेरिका के अटलांटिक तट के पास नष्ट हो रहे आर्द्रभूमि वनों पर नजर रखते हैं। इन क्षेत्रों में मृत हो चुके पेड़ों के तने अक्सर सफेद पड़ चुके हैं और इनके भयानक परिदृश्यों के कारण इन्हें ‘भूतिया वन’ भी कहा जाता है। ओंटारियो स्थित वाटरलू विश्वविद्यालय में पारिस्थितिकीविद् एमिली उरी ने आर्द्रभूमि में हुए परिवर्तनों को देखने के लिए लैंडसैट डेटा का उपयोग किया। 

उन्होंने ‘गूगल अर्थ’ पर उपलब्ध हाई-रिजॉल्यूशन की तस्वीरों को जूम इन किया, जिससे पुष्टि हुई आर्द्रभूमि वन नष्ट होने के कारण ‘भूतिया वन’ में तब्दील हो चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘ये परिणाम चौंकाने वाले थे। हमने पाया कि (उत्तरी कैरोलाइना में) पिछले 35 वर्षों में ‘एलीगेटर रिवर नेशनल वाइल्डलाइफ रिफ्यूज’ के भीतर 10 प्रतिशत से अधिक वनाच्छादित आर्द्रभूमि नष्ट हो गई। यह सरकार द्वारा संरक्षित भूमि है, जिसमें जंगलों को नष्ट कर सकने वाली कोई मानवीय गतिविधि नहीं हुई।’ उरी का कहना है कि जैसे-जैसे ग्रह गर्म होता है और समुद्र का स्तर बढ़ता है, इन आर्द्र क्षेत्रों में अधिक खारा पानी पहुंचता है और इसी कारण मेन से लेकर फ्लोरिडा तक तटीय जंगलों की मिट्टी में नमक की मात्रा बढ़ रही है।

उन्होंने कहा, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि समुद्र के स्तर में इतनी अधिक तेजी से वृद्धि हो रही है कि ये जंगल अपेक्षाकृत अधिक आर्द्र एवं नमकीन परिस्थितियों के अनुकूल स्वयं को ढाल नहीं पा रहे।’ लैंडसैट से प्राप्त तस्वीरों से कई और महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं, जैसे कि यूक्रेन की गेहूं की फसल पर पड़ा युद्ध का प्रभाव और फ्लोरिडा की झील ओकीचोबी में फैलते शैवाल। अनगिनत परियोजनाएं वैश्विक परिवर्तन पर नजर रखने के लिए लैंडसैट डाटा का उपयोग कर रही हैं, जिनसे समस्याओं का समाधान निकालने में संभवत: मदद मिलती है।

Latest World News