US Saudi Arabia Relations: अमेरिका और सऊदी अरब के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। बीते हफ्ते ही OPEC+ देशों के समूह ने तेल उत्पादन में कटौती करने का ऐलान किया था। सऊदी अरब इस ग्रुप का प्रमुख सदस्य है और रूस भी इसका हिस्सा है। व्लाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता जॉन किर्बी ने मंगलवार को बताया कि राष्ट्रपति जो बाइडेन सऊदी अरब के साथ अमेरिका के रिश्तों पर पुनर्विचार कर रहे हैं। अमेरिका चाहता है कि सऊदी अरब तेल उत्पादन बढ़ाए ताकि वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों को नियंत्रित किया जा सके। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमत बढ़ गई है, जिससे दुनिया भर में तेल महंगा हो गया है।
सीएनएन के साथ एक साक्षात्कार में, किर्बी ने कहा, "मुझे लगता है कि बाइडेन बहुत स्पष्ट हैं कि यह एक ऐसा रिश्ता है जिस पर हमें पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, और विशेष रूप से ओपेक के फैसले के बाद।" उन्होंने कहा कि बाइडेन सऊदी के साथ संबंधों के भविष्य पर कांग्रेस के साथ काम करने के लिए तैयार हैं। ओपेक प्लस द्वारा तेल उत्पादन में कटौती की घोषणा के बाद से अमेरिका में सऊदी अरब को लेकर गुस्सा है।
सऊदी अरब पर अमेरिका का गुस्सा
अमेरिकी सीनेट की विदेश संबंध समिति के डेमोक्रेटिक अध्यक्ष बॉब मेनेंडेज ने सोमवार को सऊदी अरब के साथ सहयोग को रोकने का आह्वान किया, जिसमें हथियारों की बिक्री भी शामिल है। उन्होंने सऊदी पर यूक्रेन युद्ध में रूस की मदद करने का भी आरोप लगाया। जॉन किर्बी ने कहा कि ओपेक प्लस की घोषणा के बाद से बाइडेन निराश हैं। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा न केवल यूक्रेन युद्ध के लिए चिंता का विषय है, बल्कि यह अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा हितों का भी मामला है।
क्या पूरी दुनिया प्रभावित होगी?
सऊदी अरब का कहना है कि उसने अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों को स्थिर रखने के लिए उत्पादन में कटौती की है। यह फैसला किसी देश के समर्थन या विरोध से संबंधित नहीं है। साफ है कि दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक सऊदी अरब अगर इसमें कटौती करता है तो इसका असर भारत समेत पूरी दुनिया पर पड़ेगा और वैश्विक बाजार में तेल की कीमत बढ़ जाएगी। ओपेक प्लस ने तेल उत्पादन में प्रति दिन 20 लाख बैरल की कटौती करने का फैसला किया है।
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