वाशिंगटन: अमेरिका की एक अदालत ने एक भारतीय-अमेरिकी दंपत्ति को कड़ी सजा सुनाई है। रिश्तेदार को स्कूल में दाखिला दिलाने का लालच देकर अमेरिका लाने और उसे तीन साल से अधिक समय तक अपने गैस स्टेशन और डिपार्टमेंटल स्टोर पर काम करने के लिए मजबूर करने के आरोप में दंपति को जेल की सजा सुनाई गई है। हरमनप्रीत सिंह (31) को अदालत ने 135 महीने (11.25 साल) और कुलबीर कौर (43) को 87 महीने (7.25 साल) की जेल की सजा सुनाई है। अदालत ने चचेरे भाई एवं पीड़ित को लगभग 1.87 करोड़ रुपये का मुआवजा देने के लिए भी कहा है। दंपत्ति का अब तलाक हो चुका है।
झूठे वादे किए गए
न्याय विभाग के नागरिक अधिकार प्रभाग की सहायक अटॉर्नी जनरल क्रिस्टन क्लार्क ने कहा, "आरोपियों ने पीड़ित के साथ अपने संबंधों का फायदा उठाकर उसे अमेरिका में लाने के लिए झूठे वादे किए कि वो उसे स्कूल में दाखिला दिलाने में मदद करेंगे।" उन्होंने कहा, "प्रतिवादियों ने पीड़ित के आव्रजन दस्तावेज जब्त कर लिए तथा न्यूनतम वेतन पर लंबे समय तक काम करने के लिए मजबूर करने के लिए उसे धमकियां दीं, शारीरिक बल का प्रयोग किया तथा मानसिक रूप से प्रताड़ित किया।"
सजा से जाना चाहिए कड़ा संदेश
अटॉर्नी जनरल क्रिस्टन क्लार्क ने कहा, "इस सजा से यह कड़ा संदेश जाना चाहिए कि हमारे समुदायों में इस तरह के जबरन श्रम को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।" न्याय विभाग ने कहा कि मुकदमे में पेश किए गए सबूतों से पता चला है कि 2018 में प्रतिवादियों ने उस समय नाबालिग रहे पीड़ित को स्कूल में दाखिला दिलाने में मदद करने का झूठा वादा करके भारत से अमेरिका आने का लालच दिया था। (भाषा)
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