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सीमा पार से आतंकवाद के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में फिर गरजा भारत, पाकिस्तान की बोलती बंद

भारत ने कहा कि सभी देशों को आतंकवाद जैसे खतरों के खिलाफ एक साथ खड़े होना चाहिए और इसमें राजनीतिक लाभ के लिए दोहरे मानक शामिल न हों। रुचिरा ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहाकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कानून का शासन लागू करने के लिए राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को आतंकवाद और सीमा पार आतंकवाद से मुक्त करें।

यूएनएससी (प्रतीकात्मक फोटो)- India TV Hindi Image Source : AP यूएनएससी (प्रतीकात्मक फोटो)

India in UNSC On Terrorism: सीमा पार से जारी आतंकवाद को लेकर भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान का नाम लिए बिना निशाना साधा है। भारत ने सीमा पार आतंकवाद का इस्तेमाल करने वाले देशों को जवाबदेह ठहराने के लिए अंतरराष्ट्रीय एकजुटता का आह्वान किया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहाकि संकीर्ण राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सीमा पार आतंक का इस्तेमाल करने वाले राज्यों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। आतंक के मुद्दे पर भारत की इस गर्जना से पाकिस्तान की बोलती बंद हो गई। वहीं जापान भी भारत के साथ खड़ा दिखा।

भारत ने कहा कि सभी देशों को आतंकवाद जैसे खतरों के खिलाफ एक साथ खड़े होना चाहिए और इसमें राजनीतिक लाभ के लिए दोहरे मानक शामिल न हों। रुचिरा ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहाकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कानून का शासन लागू करने के लिए राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को आतंकवाद और सीमा पार आतंकवाद सहित अन्य आक्रामकता से बचाना चाहिए। जापान के विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी ने भी भारत का समर्थन करते कहा कि कानून का शासन आधुनिक राष्ट्र राज्यों का आधारभूत आधार है इसे राष्ट्रों के बीच भरोसे पर टिका होना चाहिए। उन्होंने कहा, यदि समझौतों का सद्भावपूर्वक पालन नहीं किया जाता है, तो कानून का शासन नहीं रह जाता और दुनिया में जंगल राज आ जाता है।

संयुक्त राष्ट्र ने भी दुनिया को चेताया
भारत की आपत्तियों को गंभीर मानते हुए संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी विश्व को चेतावनी देते हुए कहाकि हम अराजकता के शासन के गंभीर खतरे का सामना कर रहे हैं। परमाणु हथियारों के अवैध विकास से लेकर बल के अवैध इस्तेमाल तक, विभिन्न देश अंतरराष्ट्रीय कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं। उन्होंने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहाकि इसने एक मानवीय और मानवाधिकार तबाही पैदा की है, बच्चों की एक पीढ़ी को आघात पहुंचाया है और वैश्विक खाद्य और ऊर्जा संकट को तेज किया है।

भारत ने सुरक्षा परिषद में दावे को फिर किया मजबूत

भारत की रुचिरा कंबोज ने इस दौरान सीधे तौर पर यूक्रेन की स्थिति का उल्लेख नहीं किया, लेकिन कहाकि कानून के शासन के लिए आवश्यक है कि देश एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें, क्योंकि वे अपनी खुद की संप्रभुता का सम्मान करने की उम्मीद करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग को दोहराते भारत के दावे को फिर मजबूती दी। कंबोज ने कहाकि कानून के शासन को मजबूत करने के लिए वैश्विक प्रशासन के अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में सुधार की भी आवश्यकता है, जिनमें अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव की जि़म्मेदारी भी शामिल है। पुराने जमाने के ढांचे के आधार पर कानून के शासन को मजबूत करने का हमारा उद्देश्य पूर्ण रूप से सफल नहीं हो सकेगा। भारत ने इस दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपना दो वर्षों का अस्थाई कार्यकाल भी पूरा कर लिया है।

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