श्रीलंका और तुर्की का खेवनहार बना भारत अब अमेरिका के लिए करेगा संजीवनी का काम, दुनिया कर रही सलाम
आर्थिक तबाही से कराह रहे श्रीलंका को उबारने के बाद भारत मानवता की रक्षा के लिए तुर्की और सीरिया का भी खेवनहार बन गया। तुर्की और सीरिया के भूकंप पीड़ितों की आपातकालीन मदद करने के लिए जिस तरह से भारत ने सक्रियता दिखाई वह मिसाल बन गई।
नई दिल्ली। आर्थिक तबाही से कराह रहे श्रीलंका को उबारने के बाद भारत मानवता की रक्षा के लिए तुर्की और सीरिया का भी खेवनहार बन गया। तुर्की और सीरिया के भूकंप पीड़ितों की आपातकालीन मदद करने के लिए जिस तरह से भारत ने सक्रियता दिखाई वह मिसाल बन गई। भारत की ऐसी दरियादिली को देखकर दुनिया न सिर्फ हैरान रह गई, बल्कि पीएम मोदी और हिंदुस्तान के इस जज्बे को सलाम भी कर रही है। इससे पहले अफगानिस्तान में आए संकट और यूक्रेन के युद्ध पीड़ितों के लिए भी भारत ने मानवीय मदद को सर्वोपरि रखा। भारत ने दुनिया को दिखा दिया कि उसके लिए पूरा विश्व एक परिवार की तरह है, क्योंकि भारत की पारंपरिक भावना ही ...समस्त तु वसुधैव कुटुंबकम... की रही है। अब यह भारत वैश्विक मंदी से जूझ रही दुनिया को न सिर्फ रास्ता दिखा रहा है, बल्कि अमेरिका के लिए भी संजीवनी बन गया है।
जो अमेरिका वैश्विक मंदी से बचने के लिए और बेरोजगारी के संकट से उबरने के लिए परेशान था, अब उसे भारत ने संजीवनी दे दी है। हाल ही में एयर इंडिया और बोइंग समझौते से अमेरिका को न सिर्फ आर्थिक फायदा होगा, बल्कि करीब 10 लाख नौकरियां पैदा होंगी। इससे वैश्विक मंदी का सामना करने में अमेरिका को मदद मिलेगी। भारत के इस निर्णय से अमेरिका अब मुरीद बन गया है। अमेरिका के एक सांसद ने कहा है कि अमेरिकी कंपनियां अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता ला रही हैं और भारत उनका एक स्वाभाविक भागीदार बन गया है। उन्होंने कहा कि हालिया एअर इंडिया-बोइंग समझौता इस बात का गवाह है कि भारत अपने नागर विमानन क्षेत्र का आधुनिकीकरण कर रहा है। एअर इंडिया ने मंगलवार को कुल 34 अरब डॉलर मूल्य के 220 ऑर्डर वाले 190 बोइंग 737 मैक्स, 20 बोइंग 787 और 10 बोइंग 777 एक्स की खरीद से संबंधित अपने समझौते की घोषणा की जिससे 44 राज्यों में 10 लाख अमेरिकी लोगों को रोजगार मिलेगा।
चीन को त्याग कर अमेरिका ने तलाशा भारत का रास्ता
भारतीय-अमेरिकी सांसद अमी बेरा ने कहाकि हमें महामारी के दौरान एहसास हुआ कि हमारी आपूर्ति श्रृंखला चीन पर कितनी अधिक निर्भर है। जब हमने अमेरिकी कंपनियों से अपनी आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने का अनुरोध किया तो भारत हमारा स्वाभाविक भागीदार बना। वे निश्चित रूप से फार्मास्युटिकल (दवा) क्षेत्र में हैं, उनके पास एक परिपक्व फार्मास्युटिकल क्षेत्र है, लेकिन रक्षा उत्पादन में भी, प्रौद्योगिकी के अन्य क्षेत्रों में भी भारत के पास एक बहुत जीवंत तकनीकी क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि भारत ऐतिहासिक रूप से एक गुटनिरपेक्ष देश रहा है, लेकिन तेजी से एक बड़ी आर्थिक शक्ति, एक महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में और समुद्री सुरक्षा पर अमेरिका के साथ काम कर रहा है। इसका व्यापारिक भागीदार बन रहा है।
बेरा को हाल में 118वीं कांग्रेस के लिए हिंद-प्रशांत पर सदन की विदेश मामलों की उपसमिति के शीर्ष सदस्य के रूप में चुना गया था। उन्हें डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता हकीम जेफरीज द्वारा खुफिया मामलों से संबंधित प्रतिनिधि सभा की स्थायी चयन समिति में काम करने के लिए भी चुना गया है। भारतीय एअरलाइंस-बोइंग सौदे की हालिया घोषणा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह न केवल अमेरिका के लिए अच्छा है, बल्कि यह इस बात का उदाहरण भी है कि भारत अपने हवाई अड्डों का आधुनिकीकरण कर रहा है।
यह भी पढ़ें...
कंगाल पाकिस्तान की फिर उड़ी खिल्ली: तुर्की ने बाढ़ में जो मदद भेजी थी, पाक ने उसे ही वापस भेज दिया
अमेरिका ने चीन को दी चेतावनी, कहा-'आगे से कभी नहीं होना चाहिए जासूसी बैलून जैसी घटना'