भारत लगातार ग्रीन ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ा मुकाम हासिल करता जा रहा है। लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2030 तक देश में नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है। कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए भारत सोलर एनर्जी, न्यूक्लियर एनर्जी और हाइड्रोजन एनर्जी को बढ़ावा दे रहा है। वैश्विक जलवायु परिवर्तन को लेकर वियना में आयोजित अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा सम्मेलन में भारत ने अपने न्यूक्लियर एनर्जी लक्ष्य को जब दुनिया के सामने रखा तो अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग (IAEA) भी इसका मुरीद हो गया।
भारत ने दुनिया के सामने जलवायु परिवर्तन द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने के वास्ते ‘नेट जीरो’ उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बुधवार को परमाणु ऊर्जा से 22 गीगावाट बिजली का उत्पादन करने की योजना पेश की। परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष अजीत कुमार मोहंती ने वियना में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) में महानिदेशक राफेल मारियानो ग्रोस्सी के साथ भेंटवार्ता के दौरान परमाणु ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने की भारत की महत्वाकांक्षी योजना साझा की।
IAEA ने की भारत की तारीफ
भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष मोहंती आईएईए के वार्षिक महासम्मेलन में हिस्सा लेने वियना गये हैं। न्यूक्लियर एनर्जी पर भारत के प्रस्तुतीकरण के बाद ग्रोस्सी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘नेट जीरो के लिए परमाणु ऊर्जा के माध्यम से 22 गीगावाट तक उत्पादन पहुंचाने की भारत की महत्वाकांक्षी योजना को लेकर मोहंती को बधाई।’’ मोहंती ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ‘न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड’ (एनपीसीआईएल) विस्तारित विद्युत संयंत्र परिचालन में रिकार्ड तय कर रहा है तथा शानदार सुरक्षा रिकार्ड कायम कर रहा है। (भाषा)
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