'भारत के साथ संबंधों को अहमियत देंगे ट्रंप', पूर्व प्रशासनिक अधिकारी ने चीन और पाकिस्तान को लेकर जो कहा वो भी जानें
डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बहुत अच्छे संबंध हैं। ट्रंप से अपेक्ष है कि वह पहले कार्यकाल के दौरान की गई प्रगति को आगे बढ़ाएंगे और भारत के साथ संबंधों को मजबूत करना जारी रखेंगे। यह बात व्हाइट हाउस में उनके पहले कार्यकाल के दौरान दक्षिण एशिया मामलों की प्रभारी ने कही है।
वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद भारत में इस बात की चर्चा है कि ट्रंप के कार्यकाल में दोनों देशों के बीच रिश्ते कैसे रहेंगे। अधिकतर लोगों का यही मानना है कि भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत और विश्व के पटल पर इसकी अहमियत को देखते हुए भारत और अमेरिका के संबंधों में और बेहतरी होने की उम्मीद है। अब ट्रंप के साथ पिछले कार्यकाल में काम कर चुकीं दक्षिण और मध्य एशिया के मामलों की जानकार लीसा कर्टिस ने भी कहा है कि ट्रंप अपने पहले कार्यकाल की तरह ही इस कार्यकाल में भी भारत के साथ अपने रिश्तों को अहमियत देंगे।
'वहीं से शुरुआत करेंगे ट्रंप, जहां छोड़ा था'
लीसा कर्टिस साल 2017 से 2021 के बीच डोनाल्ड ट्रंप की सलाहकार और दक्षिण एवं मध्य एशिया की सुरक्षा परिषद की निदेशक रह चुकी हैं। कर्टिस ने कहा है कि 'मुझे लगता है कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप भारत के साथ वहीं से शुरुआत करेंगे, जहां उन्होंने छोड़ा था। भारत के प्रति उनकी अच्छी भावनाएं और सद्भावना है और मैं इस कार्यकाल को दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करने के अवसर के रूप में देखती हूं।' उन्होंने कहा कि ट्रंप के पहले कार्यकाल (2017-2021) के दौरान भारत की अहमियत और चीन की चुनौतियों से निपटने में इसकी भूमिका के कारण अमेरिका-भारत संबंधों में सुधार हुआ था।
ट्रंप और पीएम मोदी के बीच हैं अच्छे संबंध
पीटीआई से बातचीत में लीसा कर्टिस ने कहा कि ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच अच्छे व्यक्तिगत संबंध भी हैं और इस रिश्ते ने वास्तव में प्रगति को मजबूत करने में मदद की है। ट्रंप के कार्यकाल में भारत पर प्रौद्योगिकी नियंत्रण हटा लिए गए थे, जिससे भारत की सशस्त्र ड्रोन तकनीक तक पहुंच हुई। लीसा कर्टिस वर्तमान में सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी, एक थिंक-टैंक में इंडो-पैसिफिक सिक्योरिटी प्रोग्राम की सीनियर फेलो और निदेशक हैं।
भारत-अमेरिका संबंध में हैं कुछ अड़चनें
लीसा कर्टिस ने बताया कि सामान्य तौर पर ट्रंप के पहले कार्यकाल में भारत के साथ अच्छे संबंध रहे, लेकिन उस दौरान कुछ अड़चनें भी आईं, जिनमें मुख्य तौर पर टैरिफ का मुद्दा रहा। ट्रंप चाहते हैं कि भारतीय बाजार तक अमेरिकी कंपनियों को भी पहुंच मिले। पहले कार्यकाल में ट्रंप ने भारत द्वारा कई अमेरिकी उत्पादों पर भारी टैरिफ को लेकर नाराजगी भी जाहिर की थी। लीसा कर्टिस के अनुसार, इस बार भी व्यापार और टैरिफ के मुद्दे पर भारत-अमेरिका के रिश्तों में अड़चन आ सकती है। हालांकि, इससे दोनों देशों के रिश्तों पर विपरीत असर पड़ने की आशंका नहीं है। साथ ही ट्रंप प्रशासन, भारत से रूस पर अपनी सैन्य उपकरण निर्भरता को कम करने के लिए भी कह सकता है।
चीन को लेकर अमेरिका और भारत हैं चिंतित
लीसा कर्टिस ने कहा कि चीन को लेकर अमेरिका और भारत, दोनों की चिंताएं हैं जैसे चीन प्रौद्योगिकी बाजार पर हावी होने और एशिया में अपना दबदबा बनाने की कोशिश कर रहा है, भारत और अमेरिका, दोनों ही ऐसा नहीं चाहते हैं। ऐसे में चीन को रोकने के लिए भारत और अमेरिका सुरक्षा और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दे सकते हैं। लीसा कर्टिस ने माइक वाल्ट्ज को एनएसए और मार्को रूबियो को विदेश मंत्री बनाने का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों नेता चीन के प्रति आक्रामक रुख रखते हैं और भारत के प्रति दोनों का नजरिया समर्थकों वाला है।
पाकिस्तान पर नहीं होगा ध्यान
कर्टिस ने कहा कि ट्रंप का दूसरा कार्यकाल पाकिस्तान पर केंद्रित होने की संभावना नहीं है और किसी को भी उनकी अफगान नीति में बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। कर्टिस ने कहा कि ट्रंप प्रशासन भारत को रूसी सैन्य उपकरणों पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए मनाने की कोशिश जारी रखेगा।
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