वॉशिंगटनः अमेरिका ने हाल के समय में भारत और चीन संबंधों पर खुलकर अपनी बात कही है। कई बार अमेरिका ने भारत को चीन की कुटील चालों को लेकर आगाह भी किया है। एक बार फिर अमेेरिका ने कुटील चीन की भारत के खिलाफ चाल के बारे में अपनी बात रखी है। अमेरिका का चेताया है कि चीन भारत के खिलाफ एलएसी पर उकसावे वाले कदम उठा रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति के आधिकारिक कार्यालय एवं आवास व्हाइट हाउस के एक शीर्ष अधिकारी ने भारत के साथ निकटता से काम करने की अमेरिका की मंशा पर जोर देते हुए कहा कि बीजिंग ने भारत-चीन सीमा पर उकसावे वाले कुछ कदम उठाए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के उप सहायक एवं हिंद-प्रशांत मामलों के समन्वयक कर्ट कैंपबेल ने वाशिंगटन स्थित एक थिंक टैंक से गुरुवार को कहा कि भारत अमेरिका का मित्र नहीं है और न ही कभी होगा।
उन्होंने कहा ‘लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम करीबी साझेदार नहीं होंगे और हम बहुत सी चीजें साझा करेंगे। हमें उस भूमिका को समझने की जरूरत है जो भारत वैश्विक मंच पर एक महान राष्ट्र के रूप में निभाएगा।‘ कैंपबेल ने कहा ‘हम इसे प्रोत्साहित करना चाहते हैं और इसका समर्थन करना चाहते हैं। हम उस रिश्ते को और गहरा करना चाहते हैं जो पहले से ही बहुत मजबूत है। दोनों देशों के लोगों के आपसी संबंध अमेरिकी लोगों के वैश्विक स्तर पर अन्य देशों के लोगों से संबंधों की तुलना में सबसे मजबूत हैं।‘
उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका संबंध 21वीं सदी में अमेरिका के लिए सबसे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंध हैं। उन्होंने कहा ‘मेरा मानना है कि हमारी नियति एक साथ और अधिक निकटता से काम करने की है। मेरा मानना है कि दोनों देशों के लोगों से लोगों के संबंध मजबूत हैं। ये संबंध गहरे और रणनीतिक रूप से अधिक महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं।‘
थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी‘ सीएनएएस ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारत-चीन सीमा पर घुसपैठ तथा झड़पों की घटनाएं बढ़ गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत एवं चीन के बीच सीमा को लेकर शत्रुता की बढ़ती आशंका का अमेरिका पर और इन दो एशियाई दिग्गजों के बीच उसकी हिंद-प्रशांत रणनीति पर असर पड़ता है।
विदेश मंत्रालय ने पिछले दिनों अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि चीन के साथ भारत का संबंध ‘जटिल‘ हैं और अप्रैल-मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा ‘एलएसी‘ पर एकतरफा ढंग से यथास्थिति बदलने के चीनी प्रयास के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन एवं शांति को गंभीर क्षति पहुंची।
विदेश मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2022 में कहा गया है ‘चीन के साथ भारत का संबंध जटिल हैं। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि सीमा से जुड़े विषयों का अंतिम समाधान होने तक द्विपक्षीय संबंधों के सम्पूर्ण विकास का आवश्यक आधार सीमा क्षेत्रों में अमन एवं शांति बनाये रखना होगा।‘
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