अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन नई मुश्किलों से घिर सकते हैं। बाइडेन के निजी दफ्तर में सरकारी दस्तावेज मिलने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। यह मामला उनके उपराष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान का है। उस दौरान के कई गोपनीय दस्तावेज बाइडेन के निजी दफ्तर से मिले थे। जो बाइडेन के वकील ने भी इन दस्तावेजों को लेकर यह कबूल किया है कि ये उनके प्राइवेट ऑफिस में रखे गए थे। सीएनएन की खबर के मुताबिक अमेरिका के अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड में शिकागो के अटॉर्नी से इस मामले की जांच करने के लिए कहा है। उधर, डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई वाली रिपब्लिकन पार्टी को भी बायडेन पर हमला करने का एक नया मौका मिल गया है।
2017 से 2019 तक मानद प्रोफेसर रहते हुए किया था इस्तेमाल
वहीं, राष्ट्रपति जो बाइडेन का वकीलों का कहना है कि उन्हें नवंबर में वाशिंगटन डीसी स्थित दफ्तर-पेन बाइडेन सेंटर फॉर डिप्लोमेसी एंड ग्लोबल- के दफ्तर से कई सरकारी दस्तावेज मिले। इन दस्तावेजों का इस्तेमाल बाइडेन ने पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय में 2017 से 2019 तक मानद प्रोफेसर रहते हुए किया था। सूत्रों के मुतबिक बाइडेन के दफ्तर में लगभग एक दर्जन दस्तावेज पाए गए हैं।
डोनाल्ड ट्रंप इसे बना सकेत हैं बड़ा मुद्दा
अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस दस्तावेजों को बाइडेन के निजी दफ्तर क्यों लगाया गया था। अमेरिकी कानून के मुताबिक राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति की सेवा समाप्त होने के बाद तमाम दस्तावेजों को अधिकारी सरकारी अभिलेखों में रखते हैं। लेकिन बाइडेन के निजी दफ्तर में सरकारी दस्तावेजों के पाए जाने की घटना का खुलासा होने से अमेरिका की सियासत गर्माने के आसार हैं। खासतौर से डोनाल्ड ट्रंप इसे बड़ा मुद्दा बना सकते हैं।
डोनाल्ड ट्रंप के निजी रिसॉर्ट से भी बरामद हुए थे दस्तावेज
इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप के फ्लोरिडा स्थित निजी रिसॉर्ट 'मार-ए-लागो' से एफबीआई ने छापा मारकर कई गोपनीय दस्तावेज बरामद किए थे। इस दस्तावेजों में कई संवेदनशील दस्तावेज भी शामिल थे। इस घटना के बाद बाइडेन ने डोनाल्ड ट्रंप पर हमला बोला था। उन्होंने सवाल उठाय़आ था कि ट्रंप व्हाइट हाउस से जाने के बाद गोपनीय दस्तावेजों को अपने साथ मार-ए-लागो आवास क्यों लेकर गए और ट्रंप तथा उनके प्रतिनिधियों ने ये दस्तावेज राष्ट्रीय अभिलेखागार तथा रिकॉर्ड ब्यूरो को क्यों नहीं दिए?
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