यरूशलम। हाल ही में इजराइल और फिलिस्तीन के बीच हुए संघर्ष के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति आने वाले महीनों में इजराइल की यात्रा पर जाएंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने आगामी महीनों में इजराइल का दौरा करने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। दोनों देशों के अधिकारियों ने रविवार को यह घोषणा की।
उन्होंने बताया कि इजराइल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने रविवार दोपहर बाइडन से फोन पर बात की और यरूशलम में हाल ही में इजराइली और फिलिस्तीनी नागरिकों के बीच हुए संघर्ष के साथ-साथ ईरान के बारे में दोनों देशों की साझा चिंताओं पर चर्चा की।
इजराइल ने ईरान के साथ 2015 के अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के अमेरिकी प्रयासों का विरोध करते हुए कहा था कि इसमें ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय शामिल नहीं हैं। इजराइल ने यह भी आशंका जताई है कि अमेरिका ईरान के रेवोल्यूशनरी गार्ड को विदेशी आतंकवादी समूहों की सूची से हटा सकता है।
बाइडन का यह दौरा क्यों रहेगा अहम?
दरअसल, इजराइल यहूदी राष्ट्र है और ईरान मुस्लिम राष्ट्र। साल 1979 में हुई ईरानी क्रांति की वजह से वहां कट्टरपंथी नेता सत्ता में आ गए। तब से ही दोनों देशों के संबंध खराब हो गए। ईरान कह रहा है कि इजरायल ने मुस्लिमों की जमीन पर कब्जा कर रखा है और वो उन्हें वहां से हटाना चाहता है। इसके लिए सीधी जंग की बजाए ईरान उन समूहों को समर्थन देता है जो इजरायल पर वार करें, जैसे हिज्बुल्ला और फलस्तीनी संगठन हमास। ऐसी परिस्थितियों में अमेरिका हमेशा इजराइल के साथ खड़ा रहा है। यही कारण है कि इजराइल फिलिस्तीनियों के बीच ताजा झड़पों के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का आगामी महीनों में इजराल दौरा अहम माना जा रहा है।
गौरतलब है कि बाइडन से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति रहे डोनल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका ने इजराइल को काफी प्राथमिकता दी थी। इजराइल की राजधानी तेल अवीव की बजाय येरुशलम करने के मामले में भी ट्रंप चर्चा में रहे। वैसे भी इजराइल अमेरिका का पारंपरिक मित्र रहा है। इजराइल के संकट में अमेरिका उसका पारंपरिक साझेदार रहा है।
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