वाशिंगटन: अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से प्रतिबंध हटा लिया है। इससे अमेरिका के लिए भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा। बाइडेन प्रशासन ने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भारत यात्रा के एक हफ्ते बाद यह घोषणा की गई है। 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण करने और परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर ना करने पर अमेरिका ने यह प्रतिबंध लगाया था। इतना ही नहीं अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चीन की 11 संस्थाओं को प्रतिबंध की लिस्ट में जोड़ा है। यूनाइटेड स्टेट्स ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्री एंड सिक्योरिटी (BIS) ने इसकी पुष्टि की है।
इन संस्थानों से भी हटा प्रतिबंध
अमेरिका के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं। बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा।
अमेरिका ने दिए थे संकेत
प्रतिबंध हटाने के फैसले को भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। अपनी भारत यात्रा के दौरान जेक सुलिवन ने कहा था कि साझेदारी मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है। अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने इस कदम का स्वागत किया और इसे भारत-अमेरिका साझेदारी के गहरे होने का परिणाम बताया है। (भाषा)
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