अमेरिका में होने वाले मध्यावधि चुनाव से करीब सात महीने पहले राष्ट्रपति जो बाइडन महंगाई के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं क्योंकि वह आर्थिक विकास का श्रेय लेने में मुश्किल का सामना कर रहे हैं। बाइडन ने पिछले साल राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी और तब से देश में रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है।
उन्होंने शुक्रवार को बताया कि मार्च महीने में रोजगार के 4,31,000 नए अवसर पैदा हुए हैं और बेरोजगारी दर गिरकर 3.6 प्रतिशत रह गई है। हालांकि, उनके इस दावे का प्रभाव इस स्वीकारोक्ति से कमतर होता प्रतीत हुआ कि देश में खाने-पीने के सामान और गैस के दाम बढ़े हैं और मुद्रास्फीति उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
बाइडन ने कहा, ‘हमारी अर्थव्यवस्था को गति मिली है और यह आगे बढ़ रही है। इसके साथ ही उन्होंने स्वीकार किया कि अमेरिकी इसपर खुश होने को तैयार नहीं है।’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘मैं जानता हूं कि काम पूरा नहीं हुआ है। हमें कीमतों को नियंत्रित करने के लिए बहुत और काम करना है।’
अमेरिका के राष्ट्रपति ने दी ये प्रतिक्रिया- बाइडन के शुक्रवार के भाषण में दोहरे संदेश थे जैसे अर्थव्यवस्था का विकास विरोधाभासी आंकड़ों को लिए था और यह मतदाताओं पर है कि वे इसे किस रूप में लेते हैं। उदाहरण के लिए राष्ट्रपति ने बताया कि पिछले एक साल में वेतन में 5.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है लेकिन इसके विपरीत उपभोक्ता वस्तुओं के दाम में 7.9 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हुई है।
आर्थिक मोर्चे पर असहजता ओपिनियन पोल में भी दिखाई देती है। एसोसिएटेड प्रेस-एनओआरसी सेंट फॉर पब्लिक अफेयर्स रिसर्च द्वारा मार्च में कराए गए सर्वेक्षण के मुताबिक 10 में से करीब सात अमेरिकियों ने कहा कि अर्थव्यस्था की स्थिति खराब है जबकि दो तिहाई ने बाइडन के आर्थिक नेतृत्व को खारिज कर दिया।
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