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Russia India Relation: अमेरिका ने क्यों माना रूस और भारत की है पक्की दोस्ती, जानें ये बड़ी वजह

Russia India Relation: भारत-रूस की दोस्ती को तोड़ने में नाकाम रहे अमेरिका ने आखिरकार अपनी हार मान ली है। अब अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि रूस से दूरी बनाने के लिए भारत को लंबा समय लग जाएगा।

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Highlights

  • रूस से दूरी बनाने के लिए भारत को लंबा समय लग जाएगा
  • अमेरिका दुनिया को किसी की हार और जीत के संदर्भ में नहीं देखता है
  • दोनों के बीच के संबंध दशकों पुराने हैं

Russia India Relation: भारत-रूस की दोस्ती को तोड़ने में नाकाम रहे अमेरिका ने आखिरकार अपनी हार मान ली है। अब अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि रूस से दूरी बनाने के लिए भारत को लंबा समय लग जाएगा। अमेरिका शुरू से ही भारत पर रूस से दुरी बनाने के लिए दबाव बनाते रहा है। खासकर यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका ने भारत पर रूस का विरोध करने का जबरदस्त दबाव डाला लेकिन भारत ने दशकों पुरानी दोस्ती का हवाला देते हुए अमेरिकी अनुरोध को खारिज कर दिया। इतना ही नहीं जब अमेरिका जैसे देशों ने रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की बौछार की तो भारत ने भी अपने पुराने दोस्त से सस्ते दाम पर तेल खरीदकर उसकी आर्थिक मदद की है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र समेत सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रूस की आलोचना करने से भी दूरी बना ली है। भारत ने अप्रत्यक्ष रूप और प्रत्यक्ष रूप से रूस की समर्थन की।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि अमेरिका दुनिया को किसी की हार और जीत के संदर्भ में नहीं देखता है। अमेरिका समझता है कि भारत जैसे देशों को रूस के प्रति अपनी नीतियों को उलटने में लंबा समय लगेगा। हम मानते हैं कि दुनिया का हर देश अपने हितों और अपने मूल्यों के अपने आकलन के आधार पर अपने स्वयं के संप्रभु निर्णय ले रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका यह भी स्पष्ट करना चाहता है कि हमारे साझा हित और हमारे साझा मूल्य अक्सर हमें कैसे जोड़ते हैं और दुनिया भर के देश इस साझेदारी से कैसे लाभ उठा सकते हैं।

भारत और रूस दशकों पुराने दोस्त 
प्राइस से पूछा गया कि क्या भारत ने रूस पर अमेरिकी रुख का समर्थन करने से इनकार कर दिया है। क्या भारत के इनकार को वाशिंगटन के नीति निर्माताओं की विफलता के रूप में व्याख्यायित किया जा सकता है? इसके जवाब में, नेड प्राइस ने कहा कि हमने देखा है कि दुनिया भर के देश यूक्रेन में रूस की आक्रामकता के खिलाफ स्पष्ट रूप से बोलते हैं, जिसमें संयुक्त राष्ट्र महासभा में उनके वोट भी शामिल हैं। लेकिन हम यह भी मानते हैं कि यह लाइट स्विच नहीं है। यह कुछ ऐसा है जो रूस के साथ ऐतिहासिक संबंध रखने वाले देशों के लिए विशेष रूप से सच है। जैसा कि भारत के मामले में, दोनों के बीच के संबंध दशकों पुराने हैं, विदेश नीति को रूस से दूर करने में लंबा समय लगने वाला है।

अमेरिका ने कई बार भारत को दिया धमकी 
मोदी सरकार के रूस के साथ संबंधों को लेकर अमेरिका में भारत विरोधी लॉबी गुस्से में है। यूक्रेन पर हमले के बाद भारत ने रूस से भारी मात्रा में कच्चा तेल खरीदा है। इतना ही नहीं वोस्तोक 2020 अभ्यास में भारत अब रूस में अपनी सैन्य टुकड़ी भेजने जा रहा है। वहीं भारत को रूस से एस-400 की डिलीवरी भी मिली है। AK-203 राइफलों के कुछ बैचों को भी आधिकारिक तौर पर भारतीय सेना में शामिल किया गया है। भारत विरोधी लॉबी इन मुद्दों को अमेरिका के खिलाफ पेश करने पर आमादा है।

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