गायब हो गई थी 24 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रहे विमान की छत, जानें Aloha Airlines Flight 243 की हैरतअंगेज कहानी
अलोहा एयरलाइंस का यह विमान 24 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था और तभी उसकी छत का एक बड़ा हिस्सा हवा में उड़ गया। उस समय प्लेन में 90 से ज्यादा लोग सवार थे।
न्यूयॉर्क: बीच आसमान में अगर किसी विमान की छत उड़ जाए, और उस प्लेन में दर्जनों सवारियां भी बैठी हों, तो क्या होगा? बात हवा की ही है, लेकिन हम हवा में बात नहीं कर रहे, ऐसा हो चुका है। आज से करीब 34 साल पहले अमेरिकी प्रांत हवाई के आसमान में 24 हजार फीट की ऊंचाई पर एक प्लेन की छत ही उड़ गई। उस समय प्लेन पर क्रू मेंबर्स को मिलाकर कुल 95 लोग सवार थे। क्या हुआ उन 95 लोगों का? क्या वे सुरक्षित जमीन पर उतर पाए? आइए, दिल दहलाकर रख देने वाली इस घटना के बारे में विस्तार से जानते हैं।
हवा के दबाव में कमी से प्लेन में हुआ विस्फोट
तारीख थी 28 अप्रैल 1988। अलोहा एयरलाइंस का एक विमान ने अमेरिका के हवाई प्रांत के हिलो से होनुलुलु की तरफ उड़ान भरी। यह एक बोइंग 737-297 विमान था जिस पर 89 पैसेंजर्स और 6 क्रू मेंबर्स को मिलाकर कुल 95 लोग सवार थे। विमान आसमान में 24,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान पर रहा था कि तभी हवा के दबाव में कमी आने की वजह से विस्फोट हो गया (Explosive Decompression) और विमान के छत का एक हिस्सा उड़ गया। बाद में पता चला कि विमान की मेंटेनेंस सही से नहीं हो रही थी। अब प्लेन में बैठी कई सवारियों के सिर पर कोई छत नहीं थी।
गायब हो गया था प्लेन का 18.5 फीट लंबा हिस्सा
प्लेन ने हिलो इंटरनेशनल एयरपोर्ट से दोपहर 1:25 पर उड़ान भरी थी और 1:48 पर विमान का एक छोटा हिस्सा टूटकर अलग हुआ था। इसी समय कैप्टन को पता चल गया कि प्लेन के कंट्रोल्स लूज हो गए हैं और विमान बाएं से दाएं की तरफ झुक रहा है। थोड़ी ही देर में छत का एक बड़ा हिस्सा गायब हो गया और यह पायलट्स को दहशत में लाने के लिए काफी था। हालांकि प्लेन को उड़ा रहे अनुभवी पायलटों रॉबर्ट शॉर्नथीमर और मैडलिन टॉमकिन्स ने इसकी सुरक्षित लैंडिंग करवा दी और एक बड़े हादसे को टाल दिया।
हवा में उड़ जाने से हुई थी फ्लाइट अटेंडेंड की मौत
इस घटना में 58 साल की फ्लाइट अटेंडेंट क्लाराबेल लैनसिंग की मौत हो गई थी। वह एक सीट के पास खड़ी थीं और छत के गायब होने के बाद हवा में ही उड़ गईं। उनकी लाश कभी नहीं मिली। 8 अन्य लोग भी बुरी तरह जख्मी हुए थे। सीट बेल्ट लगाने की वजह से पैसेंजर्स की जान तो बच गई थी लेकिन उनमें से कई घायल हो गए थे। इस दुर्घटना में प्लेन में सवार 95 लोगों में से 65 लोगों को चोटें आई थीं। घटना में प्लेन इतनी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था कि उसे रिपेयर करना संभव नहीं था।