china-America-Taiwan: अमेरिका और चीन ताइवान के मुद्दे पर आमने सामने हैं। ताइवान पर चीन लगातार हमलावर है। वह दुनिया के देशों को ताइवान के साथ संबंध न रखने की चेतावनी दे रहा है। वहीं ताइवान को भी चीन लगातार धमकियां दे रहा है। लेकिन दूसरी ओर अमेरिका ताइवान के बचाव में लगातार बयान दे रहा है। यहां तक कि दक्षिण चीन सागर में अमेरिका ने अपना बेड़ा भी भेजा है। इन सबके बीच अमेरिका ने एक बार फिर ताइवान के साथ अपने प्रगाढ़ संबंधों की बात कही है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोल्टन ने ताइवान से करीबी संबंधों को स्वीकार किया है। दरअसल, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने शनिवार को ताइवान की यात्रा के दौरान अमेरिका और ताइवान के द्विपक्षीय संबंधों पर गहन चर्चा की।। अमेरिका के पूर्व रक्षा सलाहकार का यह बयान तब आया है जब चीन ने ताइवान में अपनी सैन्य आक्रामकता बढ़ा दी है।
चीन की आक्रामक नीतियों के खिलाफ बनाएंगे एक्शन प्लान
अमेरिका में 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के संभावित उम्मीदवार बोल्टन ने ताइपे में ताइवान की स्वतंत्रता के समर्थन में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा दलों को बीजिंग द्वारा की जाने वाली संभावित कार्रवाइयों से निपटने की आकस्मिक योजनाएं बनानी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘और हमें चीन तथा रूस को यह बताना होगा कि अगर वे ताइवान के खिलाफ कदम उठाते हैं तो क्या परिणाम होंगे।‘
ट्रंप के कार्यकाल में सुरक्षा सलाहकार रहे बोल्टन हैं 7 दिन की ताइवान यात्रा पर
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे बोल्टन ने बुधवार को ताइवान की सप्ताहभर की यात्रा शुरू की। यह यात्रा अमेरिका तथा चीन में तनाव बढ़ने के बीच अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में ताइवान के लोकतंत्र को मुद्दा बनाने की महत्ता को दर्शाती है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा था कि चीन की सेना ने ताइवान के पास 38 लड़ाकू विमान और अन्य युद्धक विमान उड़ाए। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने बाद में शुक्रवार को एक बयान में ताइवान जलडमरूमध्य के माध्यम से अमेरिकी नौसेना पी-8ए पोसाइडन एंटी.सबमरीन गश्ती विमान की उड़ान का विरोध किया था।
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