देश में आने वाले लोगों पर नजर रखने के लिए फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाएगा अमेरिका
जून में विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी वीजा आवेदकों के लिए सोशल मीडिया आकउंट की जानकारी देना अनिवार्य कर दिया था।
वॉशिंगटन: अमेरिकी नागरिक एवं आव्रजन सेवा (USCIS) के अधिकारी अब फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाकर वीजा, ग्रीन कार्ड और नागरिकता हासिल करने के इच्छुक विदेशियों पर नजर रख सकेंगे। अमेरिकी गृह मंत्रालय की ओर से जुलाई 2019 में गोपनीयता संबंधी संभावित मामलों की समीक्षा की गई जिसे शुक्रवार को ऑनलाइन प्रकाशित किया गया। इसमें अधिकारियों पर फर्जी आकउंट बनाने पर लगी रोक को हटा लिया गया है। USCIS की ओर से जारी बयान में कहा गया कि अधिकारियों के फर्जी अकाउंट और पहचान बनाने से जांचकर्ताओं को फर्जीवाड़े के संभावित सबूत हासिल करने और यह तय करने में आसानी होगी कि कहीं किसी व्यक्ति को अमेरिका में प्रवेश देने से सुरक्षा को तो खतरा नहीं है।
इस नीति में बदलाव से पहले जून में विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी वीजा आवेदकों के लिए सोशल मीडिया आकउंट की जानकारी देना अनिवार्य कर दिया था। ये बदलाव ट्रंप प्रशासन की अमेरिका आने वाले संभावित आव्रजकों और यात्रियों की विस्तृत जांच का हिस्सा है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि फर्जी सोशल अकाउंट बनाने की नीति फेसबुक एवं ट्विटर मंच पर कैसे काम करेगी क्योंकि ये किसी दूसरे के नाम पर अकाउंट बनाने को अपनी शर्तों का उल्लंघन मानते हैं। ट्विटर और फेसबुक ने हाल में बड़ी संख्या में अकाउंट बंद किए हैं क्योंकि वे मानते हैं कि इन्हें चीन सरकार सूचना हासिल करने के लिए चला रही है।
अमेरिकी गृह मंत्रालय की नीति पर ट्विटर ने बयान जारी कर कहा, ‘फर्जी अकाउंट बनाकर लोगों की निगरानी करना हमारी नीति के खिलाफ है। हम USCIS के प्रस्तावित कदम को समझने की कोशिश कर रहे हैं और पता लगा रहे हैं कि क्या वे हमारी शर्तों के अनुकूल है।’ गृह मंत्रालय की ओर से जारी दस्तावेज के मुताबिक मामलों की जांच में जरूरी होने पर सोशल मीडिया की समीक्षा ‘फर्जीवाड़ा पहचान एवं राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय’ जैसी एजेंसियों के अधिकारी करेंगे। निजी आकलन में साफ किया गया है अधिकारी सभी यूजर्स की मंच पर मौजूद सार्वजनिक जानकारी की ही समीक्षा करेंगे और किसी को ‘फ्रेंड’ या ‘फॉलो’ नहीं कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें वार्षिक प्रशिक्षण लेना होगा। अधिकारियों के यूजर्स से सोशल मीडिया पर संवाद करने की भी मनाही होगी।
नागरिक स्वतंत्रता समूह इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फाउंडेशन के वरिष्ठ जांच शोधकर्ता डेव मास ने कहा कि सोशल मीडिया कंपनियां हमारे भरोसे और लोगों से संवाद करने, संगठित करने और संपर्क रखने की हमारी क्षमता को कमतर कर आंक रही हैं। (भाषा)