नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर मुद्दे पर आज सदस्य देशों की अनौपचारिक बैठक होने वाली है। हालांकि अब तक इस मुद्दे पर दुनिया भर के देशों की जो राय रही है उससे यही लगता है कि दुनिया भर में फजीहत कराने के बाद पाकिस्तान अब संयुक्त राष्ट्र में भी अपनी फजीहत कराने वाला है। वहीं आर्थिक संकट से गुजर रहे आतंकिस्तान को अमेरिका ने एक बड़ा झटका दिया है। अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद में भारी कटौती कर दी है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2009 के केरी लूगर बर्मन ऐक्ट के तहत पाकिस्तान को दिए जाने वाले आर्थिक सहायता में कटौती करने का निर्णय आधिकारिक तौर पर प्रधानमंत्री इमरान खान की अमेरिका यात्रा से लगभग तीन सप्ताह पहले इस्लामाबाद को दे दिया गया था।
अमेरिका ने नौ साल पहले केरी लूगर बर्मन ऐक्ट के तहत पाकिस्तान को दी जाने वाली प्रस्तावित आर्थिक मदद में 44 करोड़ डॉलर की कटौती कर दी है। इस कटौती के बाद पाकिस्तान को 4.1 अरब डॉलर की धनराशि दी जाएगी।
मंत्रालय के सूत्रों अनुसार यह सहायता पाकिस्तान एन्हांसमेंट पार्टनरशिप एग्रीमेंट (PEPA) 2010 के तहत वितरित किया जा रहा था। पीईपीए की अवधि जो खत्म होने वाली थी, उसे शेष $900 मिलियन के अनुदान के संवितरण के उद्देश्य से पाकिस्तान ने पिछले हफ्ते बढ़ा दिया था।
वता दें कि अक्टूबर 2009 में अमेरिकी कांग्रेस ने 'केरी लूगर बर्मन ऐक्ट' पास किया था और इसे लागू करने के लिए सितंबर 2010 में पेपा पर हस्ताक्षर किए गए। इसके तहत पाकिस्तान को पांच सालों की अवधि में 7.5 अरब डॉलर की मदद दिए जाने की व्यवस्था की गई थी।
इस अधिनियम को पाकिस्तान की आर्थिक संरचना में निवेश करने के मकसद से लाया गया था जिसके तहत देश के ऊर्जा और जल संकट को दूर किया जाना था। हालांकि, पेपा समझौते के लागू होते ही पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्ते बिगड़ने शुरू हो गए थे। इसका असर अमेरिका की प्रतिबद्धताओं और आर्थिक मदद पर भी पड़ा।
दूसरी तरफ, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान के लगातार अनुरोधों के बावजूद अमेरिका कश्मीर को द्विपक्षीय स्तर पर सुलझाने के अपने पुराने रुख पर कायम है।
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