वॉशिंगटन: अमेरिका के एक टॉप थिंक टैंक ने कहा कि यदि अफगानिस्तान में शांति लाने के प्रयासों में पाकिस्तान ने पॉजिटिव रिऐक्शन नहीं दिया तो अमेरिका तथा उसके साझेदारों को उसके खिलाफ सख्त रणनीति पर विचार करना होगा। थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में कहा, ‘यदि पाक सकारात्मक भूमिका नहीं निभाएगा तो अमेरिका और उसके साझेदारों को सख्त रणनीति पर विचार करना चाहिए।’ इस थिंक टैंक में प्रतिष्ठित अमेरिकी जनरल (रिटायर्ड) डेविड पेट्रियस, CIA के पूर्व निदेशक और अफगानिस्तान में अमेरिका के पूर्व राजदूत जेम्स कनिंगम और अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी शामिल हैं।
इस रिपोर्ट में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अगस्त 2017 में घोषित की गई दक्षिण एशिया रणनीति के एक साल के क्रियान्वयन की समीक्षा की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पाकिस्तान के साथ चर्चा में देरी नहीं होनी चाहिए खासतौर से हाल ही में नेतृत्व में हुए बदलाव और अफगानिस्तान समेत पाकिस्तान की क्षेत्रीय नीतियों में सेना के प्रभाव को देखते हुए। हालांकि पाकिस्तान आतंकवाद से काफी पीड़ित रहा है और उसने अंदरुनी तौर पर आतंकवाद से लड़ने में काफी कुछ गंवाया है लेकिन देश की सीमा के भीतर तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करने तथा अमेरिका का साथ देने के लिए उसे राजी करने की कोशिशों का कोई नतीजा नहीं निकला है।’
अफगानिस्तान ने भारत को लेकर पाकिस्तान के डर को कम करने की कोशिश की है। उसने समझाया है कि भारत और पाकिस्तान के साथ उसके संबंध संतुलित हैं तथा भारत को अफगानिस्तान के जरिए पाकिस्तान और उसके लोगों को नुकसान पहुंचाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत, अफगानिस्तान में सकारात्मक भूमिका निभा रहा है और विकास, प्रशिक्षण, व्यापार तथा लोकतंत्र और चुनावों में पाकिस्तान की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाए बिना अपना सहयोग बढ़ा सकता है ताकि अफगानिस्तान की स्थिति मजबूत हो।
इसमें कहा गया है कि ट्रंप प्रशासन की रणनीति और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी की तालिबान के साथ सुलह के जरिए शांति की दूरदर्शिता को लागू करने में सफलता से अफगान, अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।
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