लॉस ऐंजिलिस: कॉफी को अब तक वैज्ञानिकों ने स्वास्थ्य के लिए भला या बुरा घोषित नहीं किया हो पर अमेरिका में कैलिफॉर्निया राज्य के एक जज ने इस पर अपना फैसला सुना दिया है। जज ने आदेश दिया है कि प्रांत में कॉफी बेचने वालों को उस पर कैंसर की चेतावनी छापनी होगी। इस मामले में विवाद का विषय कार्सिनोजेन नामक एक रसायन है। यह रसायन काफी के दाने भूनने की प्रक्रिया में स्वत: तैयार होता है। एक छोटे से गैर-लाभकारी संगठन और बिग कॉफी नाम की एक बड़ी अमेरिकी कंपनी 8 साल से इसको लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे।
गैर-लाभकारी संगठन काउंसिल फॉर एजुकेशन ऐंड रिसर्च ऑन टॉक्सिक्स की मांग थी कि कॉफी उद्योग प्रसंस्करण के दौरान एक्राइलामाइड को हटा दें या फिर मॉल पर कैंसर की चेतावनी प्रकाशित करें। इस संगठन ने इससे पहले आलू के चिप्स बनाने वाले उद्योगों पर मुकदमा दायर कर उन्हें इसके लिए विवश किया था। स्टारबक्स कॉर्प के नेतृत्व में कॉफी उद्योग ने कहा कि कॉफी में उपलब्ध इस रसायन का स्तर इतना कम है कि उससे नुकसान नहीं हो सकता है। यदि इससे कोई जोखिम है भी तो वह कॉफी के अन्य फायदों के कारण नगण्य हो जाता है।
लॉस एंजिलिस के सुपीरियर कोर्ट के जज एलिहु बर्ले ने बुधवार को अपने आदेश में कहा कि कॉफी कंपनियों ने सुनवाई में कोई ठोस तर्क नहीं दिया है। उल्लेखनीय है कि कैलिफोर्निया के एक स्थानीय कानून के अनुसार उत्पाद में किसी ऐसे रसायन जिससे गर्भ या बच्चों आदि पर स्वास्थ्य संबंधी बुरा असर पड़ता है तो उस उत्पाद पर इसकी चेतावनी छापनी होगी। इस संबंध में करीब 900 रसायनों की सूची जारी की गई थी। कॉफी कंपनियों का कहना है कि यदि प्रसंस्करण के दौरान उक्त रसायन को हटा दिया जाए तो इससे कॉफी का स्वाद प्रभावित होगा।
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