न्यूयॉर्क: अमेरिका में दास प्रथा को खत्म हुए भले ही कई दशक बीत चुके हों लेकिन कई बार ऐसी खबरें आती हैं जो मानवता पर कलंक रही इस प्रथा की कड़वी यादों को ताजा कर जाती हैं। ऐसी ही एक खबर अमेरिका के न्यूयॉर्क से आई है। यहां एक टीचर ने स्कूल के अमेरिकन-अफ्रीकन छात्रों संग बेहद ही बुरा बर्ताव किया, उनसे इस तरीके से पेश आया गया जैसे कि वे दास हो। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना वेस्टचेस्टर काउंटी में स्थित द चैपल स्कूल नामक एक निजी स्कूल में कक्षा 5 की दोनों कक्षाओं में सोशल स्टडीज के दौरान हुई।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस टीचर ने सबसे पहले सभी कक्षाओं में अफ्रीकन-अमेरिकन स्टूडेंट्स को अपना हाथ उठाने को कहा और इसके बाद उन्हें कॉरिडर या स्कूल के दलान में खड़े होने का निर्देश दिया। वहां टीचर ने उन सभी स्टूडेंट्स के गर्दन, कलाई और एड़ियों को एक काल्पनिक जंजीरों से बांधकर उन्हें कक्षा में वापस जाकर दीवार के सहारे खड़े रहने का निर्देश दिया। इसके बाद, कक्षा में उपस्थित बाकी सभी छात्रों के सामने एक नकली व काल्पनिक नीलामी का आयोजन किया। 18वीं व 19वीं शताब्दी में सफेद बागान के मालिकों को अफ्रीकन बेचे जाते थे और इसी घटना को चित्रित करने का प्रयास इस टीचर ने किया।
हालांकि कक्षा में इस तरह का अभ्यास कराने के लिए उस टीचर को स्कूल से निकाल दिया गया। न्यूयॉर्क एटर्नी जनरल के कार्यालय की एक जांच में पाया गया कि इसका कक्षा में उपस्थित सभी छात्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा खासकर अफ्रीकन-अमेरिकन छात्र इससे ज्यादा प्रभावित हुए। एटर्नी जनरल लेटिटिआ जेम्स ने गुरुवार को एक बयान में कहा, ‘जाति की परवाह किए बिना हर युवा, किसी उत्पीड़न, पूर्वाग्रह और भेदभाव से मुक्त स्कूल जाने के लिए समान रूप से हकदार हैं।’ उन्होंने आगे यह भी कहा कि नस्ल के आधार पर बच्चों को अलग कर पाठ का अभ्यास करने की जगह न तो न्यूयॉर्क के किसी क्लासरूम में है और न ही पूरी दुनिया के किसी और क्लासरूम में है।
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