संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस्राइली सेना व गाजा में फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों के बीच हुए हिंसक संघर्ष में 16 प्रदर्शनकारियों की मौत की निष्पक्ष व पारदर्शी जांच का आह्वान किया है। गाजा पट्टी में इस्राइल और फिलिस्तीन के बीच हिंसा बढ़ने की आशंका पर संयुक्त राष्ट्र में सुनवाई के दौरान उन्होंने यह अपील की। गुटेरेस के उप प्रवक्ता फरहान हक ने एक बयान में कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने संबंधित पक्षों से किसी तरह की कार्रवाई को रोकने की अपील की है, जिससे कि हताहतों की संख्या बढ़ सकती है।
गुटेरेस ने कहा कि यह त्रासदी शांति प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की जरूरत को रेखांकित करती है, जिसका मकसद सार्थक बातचीत के जरिए लौटने की शर्त बनाना है, जो फिलिस्तीन व इजरायल को साथ-साथ शांतिपूर्ण व सुरक्षा के साथ रहने की अनुमति देगा। गाजा में सीमा की बाड़ पर शुक्रवार को संघर्ष में सैकड़ों लोग घायल हो गए। हजारों की संख्या में फिलिस्तीनी लोगों ने ‘ग्रेट मार्च ऑफ रिटर्न’ के पहले दिन भाग लिया। ‘ग्रेट मार्च ऑफ रिटर्न’ धरने का आयोजन गाजा पट्टी व इजरायल के बीच सीमा पर महीने भर के लिए किया गया। इसमें अरब-इजरायल के 1948 में युद्ध के दौरान शहर छोड़ने को बाध्य हुए फिलिस्तीनी शरणार्थियों के वापसी की मांग की जा रही है।
इजरायली डिफेंस फोर्सेज (IDF) ने एक बयान में कहा कि गाजा पट्टी सुरक्षा बाड़े से लगे 5 जगहों पर 17,000 फिलिस्तीनी दंगा कर रहे हैं। इससे पहले शुक्रवार को दक्षिणी गाजा में इजरायली टैंक के हमले में एक फिलिस्तीनी व्यक्ति की मौत हो गई और एक अन्य घायल हो गया। लैंड डे परंपरा 30 मार्च 1976 के घटनाओं से प्रेरित है, जब इजरायली बलों ने 6 फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों को गोली मार दी थी। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 20 लाख आबादी वाले गाजा में आधे से अधिक शरणार्थी हैं या फिर उनके रिश्तेदार हैं। वहीं, कुवैत ने गाजा में स्थिति पर चर्चा के लिए आपातकालीन बैठक बुलाई जहां 2014 के गाजा की लड़ाई के बाद पहली बार एक दिन में इतना घातक संघर्ष हुआ।
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