‘पाकिस्तान पर ट्रंप की कड़ी भाषा अमेरिकी सरकार के फ्रस्ट्रेशन को दिखाती है’
अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को खत्म करने के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान से तुरंत वापस बुलाने से इंकार कर दिया था।
वॉशिंगटन: अमेरिका के पूर्व राजनयिक ने कहा है कि अफगानिस्तान और दक्षिण एशिया के लिए अमेरिका की रणनीति की घोषणा करते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के लिए कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया है जो सीमापार आतंकवाद को इस्लामाबाद द्वारा लगातार समर्थन देने को लेकर अमेरिकी सरकार के भीतर बढ़ रहे गुस्से को दर्शाता है। कमांडर-इन-चीफ के तौर पर टेलीविजन पर प्राइम टाइम में राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में ट्रंप ने आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया करवाने पर पाकिस्तान को परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी। वहीं युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में शांति बहाल करने के लिए भारत से और अधिक भूमिका निभाने की मांग की थी। अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को खत्म करने के लिए उन्होंने अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान से तुरंत वापस बुलाने से इंकार कर दिया था।
ओबामा प्रशासन में दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की पूर्व सहायक विदेश मंत्री निशा देसाई बिस्वाल ने कहा, ‘राष्ट्रपति ट्रंप ने आज रात अफगानिस्तान को लेकर अपनी रणनीति राष्ट्र के समक्ष पेश की। यह रणनीति कुछ महत्वपूर्ण अंतरों के साथ बड़े पैमाने पर पिछले प्रशासन की रणनीति जैसी ही है। पहले मैं यह बताना चाहती हूं कि अफगानिस्तान को लेकर अमेरिकी नीति में कोई बड़ा अंतर नहीं आया है बल्कि राष्ट्रपति के स्वयं के रवैये में आया है जिन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव अभियान के दौरान अफगानिस्तान से सेना हटाने की बात कही थी। अब उन्होंने सैनिकों को वहां बनाए रखने यहां तक कि निकट भविष्य में वहां सेना बढ़ाने की बात कही है।’
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान को लेकर रणनीति की घोषणा करते हुए यह स्वीकार किया कि सेना को वहां से उतावली में हटाने से क्षेत्र में एक संभावित शून्य और अस्थिरता पैदा होगी। उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान को स्थिर रखने के लिए वर्तमान में अमेरिका की मौजूदगी काफी नहीं है लेकिन यह इसे पूरी तरह से ढहने होने से रोक सकती है। राष्ट्रपति की घोषणा इस क्षेत्र को लेकर कुछ आश्वस्त करती है।’ बिस्वाल ने कहा कि ट्रंप पूरी तरह से आतंक निरोधी अभियान पर केंद्रित दिख रहे हैं।