वाशिंगटन: अमेरिका ने कहा है कि वह एच1-बी वीजा नियमों का उल्लंघन करने के मामलों में जांच शुरू करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल पूरी तत्परता से करेगा। इस बयान से अमेरिका ने संकेत दिए हैं कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन एच1-बी वीजा कार्यक्रम के दुरूपयोग को रोकने की अपनी कोशिशें तेज करेगा। एच1-बी वीजा का इस्तेमाल मुख्य रूप से भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियां और पेशेवर करते हैं।
श्रम विभाग ने कहा कि अमेरिकी कामगारों के संरक्षण की उसकी कोशिशों में जांच और यदि जरूरत पड़ी तो अभियोजन के लिए अन्य सरकारी विभागों से वृहत समन्वय शामिल होगा। अमेरिका की नागरिकता एवं आव्रजन सेवाओं और न्याय विभाग के बाद श्रम विभाग तीसरी परिसंघीय एजेंसी है जिसने एच1-बी वीजा का दुरूपयोग रोकने की ट्रंप की कोशिशों को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। श्रम विभाग ने कहा कि वह एच1-बी वीजा के लिए अर्जी देने वाले नियोक्ताओं को सावधान करने के मामले में न्याय विभाग का पूरा समर्थन करता है, जिससे वे अमेरिकी कामगारों के खिलाफ भेदभाव नहीं करें। विभाग ने कहा कि वह एच1-बी वीजा संबंधी धोखाधड़ी का पता लगाने और उनका दुरूपयोग रोकने के गृह सुरक्षा विभाग के कदमों का भी समर्थन करता है।
कल श्रम विभाग ने कहा था कि वह भविष्य की जरूरतों के लिए श्रम दशा आवेदन (एलसीए) में बदलाव पर विचार करके अमेरिकी कामगारों को भेदभाव से बचाएगा। विभाग ने कहा कि एच1-बी वीजा आवेदन प्रक्रिया का जरूरी हिस्सा एलसीए को अद्यतन किया जा सकता है, ताकि एजेंसी के कर्मियों, अमेरिकी कामगारों और आम लोगों के लिए ज्यादा पारदर्शिता संभव हो सके। भारतीय तकनीकी पेशेवरों के बीच लोकप्रिय वीजा कार्यक्रम के सुधारों की मांग कर रहे दो सीनेटरों- चक ग्रैसली और डिक डर्बिन- ने एक बयान में कहा कि विभिन्न परिसंघीय एजेंसियों की ओर से घोषित उपाय स्वागत योग्य कदम हैं, लेकिन पर्याप्त नहीं हैं।
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