वाशिंगटन। अमेरिका के एक बर्खास्त वैज्ञानिक ने एक शिकायत में कहा है कि ट्रंप प्रशासन के शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारियों को कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के संबंध में कई बार चेतावनी दी गई, जिनमें भारत और पाकिस्तान से आई मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की कथित खराब गुणवत्ता के बारे में भी बताया गया था।
व्हिसलब्लोअर्स की सुरक्षा संबंधी कार्यालय यूएस ऑफिस ऑफ स्पेशल काउंसेल के समक्ष मंगलवार को की गई शिकायत में वैज्ञानिक रिक ब्राइट ने आरोप लगाया है कि स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग के शीर्ष अधिकारियों ने खासतौर से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन जैसी दवाइयां और निजी सुरक्षा उपकरण के संबंध में उनके तथा अन्य लोगों के संदेशों को बार-बार नजरअंदाज किया। जब ब्राइट को बर्खास्त किया गया तब वह स्वास्थ्य एवं मानव सेवा (एचएचएस) विभाग के साथ काम करने वाली अनुसंधान एजेंसी बायोमेडिकल एडवांस्ड रिसर्च एंड डेवलेपमेंट एजेंसी के प्रमुख थे।
शिकायत में कहा गया है कि डा. ब्राइट पाकिस्तान और भारत से दवा के आयात को लेकर अत्यधिक चिंतित थे क्योंकि एफडीए ने दवा या उसे बनाने वाली फैक्ट्री का निरीक्षण नहीं किया था। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि जिन कारखानों की जांच नहीं हुई है, वहां बनने वाली ये दवाएं मिलावटी हो सकती हैं और यह दवा को लेने वाले लोगों के लिए खतरनाक बात हो सकती है।
ट्रंप प्रशासन ने मलेरिया के इलाज में दशकों से इस्तेमाल होती आ रही दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की करीब पांच करोड़ गोलियों का आयात किया था, जिसे मार्च में अमेरिकी खाद्य एवं औषध प्रशासन (एफडीए) से आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिली थी।
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