मोदी-ट्रंप के बीच नहीं हुई इस खास मुद्दे पर चर्चा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ पहली बैठक में एच-1बी वीजा का मुद्दा नहीं उठा। हालांकि भारत-अमेरिका संबंधों के लिहाज से इस मुद्दे को महत्वपूर्ण माना जा रहा था।
वाशिंगटन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ पहली बैठक में एच-1बी वीजा का मुद्दा नहीं उठा। हालांकि भारत-अमेरिका संबंधों के लिहाज से इस मुद्दे को महत्वपूर्ण माना जा रहा था। ट्रम्प प्रशासन द्वारा एच-1बी वीजा की समीक्षा के साथ यह मामला मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले सुर्खयिों में था और ऐसी संभावना थी कि यह मुद्दा दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बातचीत में प्रमुखता से उठेगी। एच-1बी वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों में काफी लोकप्रिय है। हालांकि दोनों नेताओं के बीच बातचीत में एच-1बी वीजा का मुद्दा नहीं उठा। (ईरान ने कश्मीर को बताया मुस्लिम देश, भारत को कहा 'तानाशाह')
इस बारे में पूछे जाने पर कि क्या बातचीत में एच-1बी वीजा का मुद्दा उठा, विदेश सचिव एस जयशंकर ने संवाददाताओं से कहा कि एच-1बी वीजा के मुद्दे पर उद्योग दिग्गजों के साथ काफी चर्चा हुई और दोनों नेताओं ने डिजिटल भागीदारी के बारे में बातचीत की। जयशंकर ने कहा, दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों में भारतीय-अमेरिकी समुदाय की असाधारण भूमिका को स्वीकार किया है। जयशंकर ने कहा, जब आप किसी चीज को महत्व देते हैं, तो जाहिर है आफ उसका ध्यान रखते हैं। दोनों नेताओं की बैठक के बाद जारी भारत-अमेरिका संयुक्त बयान में एच-1बी वीजा मुद्दे का कोई जिक्र नहीं किया गया है।
व्हाइट हाउस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय-अमेरिकी ने नवप्रवर्तन और उद्यमशीलता को अपनाया। वे सिलिकन वैली में सबसे आगे हैं और एक अनुमान के अनुसार सिलिकन वैली के करीब 15 प्रतिशत स्टार्टअप के गठन में उनका योगदान है। इसमें कहा गया है कि उन्होंने पेंटियम चिप, फाइबर आप्टिक्स समेत अन्य कई नये उत्पाद विकसित करने में मदद की। आज करीब 40 लाख भारतीय-अमेरिकी अमेरिका में रह रहे हैं और 7,00,000 अमेरिकी नागरिक भारत में रहते हैं। पिछले साल अमेरिकी सरकार ने करीब 10 लाख वीजा भारतीय नागरिकों को जारी किया और 17 लाख भारतीय नागरिकों के अमेरिका यात्रा को सुगम बनाया। एच-1बी वीजा पर कड़ाई को लेकर भारत में चिंता बढ़ी है।
ट्रम्प ने एच-1बी वीजा से जुड़े नियमों को कड़ा करने और उसका दुरूपयोग रोकने के लिये अप्रैल में कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किये। राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी सरकार अमेरिकियों को नियुक्त करो की नीति लागू करने जा रही है जिसे अमेरिका में रोजगार तथा वेतन सुरक्षा को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है।