नई दिल्ली। दुनिया भर में समु्द्रों में फैले दूरसंचार नेटवर्क के फाइबर ऑप्टिक केबल से अनुसंधानकर्ताओं को समु्द्र में भूकंप का पूर्वानुमान लगाने और समु्द्र की गहराइयों में छिपी भूगर्भीय संरचनाओं का पता लगाने में मदद मिल सकती है। विज्ञान पत्रिका ‘साइंस’ में छपे एक अध्ययन में एक प्रयोग के बारे में बताया गया है, जिसके तहत समु्द्र के नीचे फाइबर ऑप्टिक केबल्स के 20 किलोमीटर लंबे खंड को निगरानी करने वाले 10,000 भूकंप केन्द्रों में बदल दिया गया। अनुसंधानकर्ताओं ने अपने चार दिवसीय प्रयोग के दौरान 3.
5 तीव्रता के भूकंप और पानी के नीचे ‘फाल्ट जोन’ में भूकम्पीय गतिविधियां दर्ज की।
उन्होंने एक ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया, जिसमें प्रकाश के निर्माण, परिवर्तन और उसका पता लगाने वाले उपकरण के जरिए केबल से नीचे लेजर के छोटे-छोटे स्पंद भेजे गए। इसके जरिए यह पता लगाया गया कि केबल में खिंचाव के चलते तनाव के कारण लेजर के स्पंदों पर क्या असर पड़ा और उनमें क्या बिखराव हुआ। इसके बाद अनुसंधानकर्ताओं ने केबल के प्रत्येक दो मीटर पर बिखराव को मापा, और 20 किलोमीटर के इस खंड को 10,000 गति संवेदकों में बदल दिया।
उन्होंने बताया कि इस तकनीक का इस्तेमाल गहराई में अभी तक अज्ञात फॉल्ट सिस्टम का पता लगाने और पानी के ऊपर कई गतिशील ज्वार तथा तूफान से संबंधित प्रक्रियाओं का निरीक्षण करने के लिए किया जा सकता है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि दूनिया भर में जमीन पर और पानी के भीतर फैले एक करोड़ किलोमीटर से अधिक लंबे फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क का इस्तेमाल धरती पर संवेदनशील भूकंपीय गतिविधियों का पता लगाने में किया जा सकेगा।
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