वॉशिंगटन: अमेरिका की एक अदालत ने टेलीमार्केटिंग फर्जी योजना के मामले में गुरुवार को एक भारतीय नागरिक को 3 साल कैद की सजा सुनाई। न्याय मंत्रालय ने कहा कि दिल्ली के रहने वाले हिमांशु असरी (34) ने व्यापक टेलीमार्केटिंग फर्जी योजना में मुख्य प्रतिभागी होना स्वीकार किया था जिसने अमेरिकी निवासियों को निशाना बनाया और उनसे ठगी की। हिमांशु के निशाने पर खासतौर से वरिष्ठ नागरिक रहते थे।अमेरिका के कार्यवाहक एटर्नी रिचर्ड बी. माइरस ने घोषणा की कि संघीय कारागर में 36 महीनों की सजा के बाद रिहाई 3 वर्ष की संघीय निगरानी में होगी।
2020 की शुरुआत में गिरफ्तार हुआ था असरी
असरी की सजा पूरी होने के बाद उसे भारत वापस भेजने की कार्रवाई की जाएगी। पिछले दिसंबर में अपनी दोष स्वीकृति याचिका में असरी ने स्वीकार किया था कि 2020 की शुरुआत में गिरफ्तार किए जाने से 5 साल पहले तक वह भारत में एक कॉल सेंटर चलाता था जो टेक फर्जीवाड़े में लिप्त था। इस योजना के जरिए कंप्यूटर उपयोगकर्ताओं से यह बताकर पैसा ठगा जाता था कि उनके कंप्यूटर पर वायरस का हमला हो सकता है। संघीय अभियोजनों ने आरोप लगाया कि योजना के तहत, असरी कंप्यूटर उपयोगकर्ता के स्क्रीन पर विज्ञापनों का पॉप अप दिखाता था।
एक शख्स से ऐंठे गए थे औसतन 482 डॉलर
इन विज्ञापनों में झूठे तरीके से कहा जाता था कि उन कंप्यूटरों पर मालवेयर का पता चला है और एक टेलीफोन नंबर दिखता था जिस पर मदद के लिए फोन करने को कहा जाता था। अदालती दस्तावेजों के मुताबिक, इस घोटाले का शिकार होने वाले लोगों ने औसतन 482 डॉलर (लगभग 35 हजार रुपये) का भुगतान किया और कई बार तो 1,000 डॉलर तक चुकाया। इन लोगों को कभी भी कंप्यूटर को सुरक्षित रख सकने की वास्तविक सेवा या मदद नहीं मिली। (भाषा)
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