वॉशिंगटन: बायडेन प्रशासन ने एक और आव्रजन अनुकूल कदम उठाया है और एच-1बी वीजा धारकों के जीवनसाथियों को काम करने के अधिकार संबंधी मंजूरी स्वत: मिलने पर सहमति जताई है। इस कदम का लाभ हजारों भारतीय-अमेरिकी महिलाओं को मिलेगा। एच-1बी वीजा धारकों में बड़ी संख्या भारतीय आईटी पेशेवरों की है। एच-4 वीजा, अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवाओं द्वारा एच-1बी वीजा धारकों के निकटतम परिजनों (जीवनसाथी और 21 साल से कम उम्र के बच्चे) को जारी किया जाता है।
एच-1बी वीजा गैर-आव्रजन वीजा है
एच-4 वीजा सामान्य तौर पर उन लोगों को जारी किया जाता है जो अमेरिका में रोजगार आधारित वैधानिक स्थायी निवासी दर्जे की प्रक्रिया पहले ही आरंभ कर चुके हैं। एच-1बी वीजा गैर-आव्रजन वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को रोजगार देने की इजाजत देता है। इनके बूते प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर वर्ष हजारों लोगों को नौकरी पर रखती हैं। आव्रजकों के जीवनसाथियों की ओर से कुछ महीने पहले ‘अमेरिकन इमीग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशन’ ने मुकदमा दायर किया था जिसके बाद गृहसुरक्षा विभाग इस समझौते पर पहुंचा।
पीएम मोदी ने उठाया था एच-1बी वीजा का मुद्दा
बता दें कि सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन के साथ पहली आमने-सामने की बैठक में भारतीय पेशेवरों की अमेरिका में पहुंच और एच-1 बी वीजा का मुद्दा उठाया था। पीएम मोदी ने इस तथ्य के बारे में भी बात की कि यहां काम करने वाले कई भारतीय पेशेवर सामाजिक सुरक्षा में योगदान करते हैं। बाद में व्हाइट हाउस द्वारा जारी एक तथ्य पत्र में कहा गया था कि अमेरिका को 2021 में अब तक भारतीय छात्रों को रिकॉर्ड 62,000 वीजा जारी करने पर गर्व है। अमेरिका में लगभग 2,00,000 भारतीय छात्र अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सालाना 7.7 अरब अमरीकी डालर का योगदान करते हैं।
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