वॉशिंगटन: अमेरिकी स्पेस संस्था नासा ने भारत के 'मिशन शक्ति' अभियान पर मुहर लगा दी है। नासा के प्रमुख जिम ब्रिडेनस्टाइन ने सोमवार को नासा के कर्मचारियों को संबोधित करते हुए भारत की ओर से पांच दिन पहले किए गए टेस्ट का जिक्र किया। हालांकि नासा ने अंतरिक्ष में करीब 400 मलबे के टुकड़े बढ़ने को लेकर चिंता भी जताई और कहा कि आने वाले दिनों में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को दिक्कतें हो सकती हैं।
ब्रिडेनस्टाइन के मुताबिक, सभी टुकड़े इतने बड़े नहीं हैं जिन्हें ट्रैक किया जा सके। उन्होंने कहा, 'हमारी उसपर नजर है। बड़े टुकड़े ट्रैक हो रहे हैं। हम लोग 10 सेंटीमीटर (6 इंच) से बड़े टुकड़ों की बात कर रहे हैं। ऐसे अबतक 60 टुकड़े मिले हैं।' उन्होंने कहा कि यह टेस्ट आईएसएस समेत कक्षा में मौजूद बाकी सभी सैटलाइट से नीचे किया गया था। लेकिन अब इसके करीब 24 टुकड़े इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन के ऊपर चले गए हैं।
नासा प्रमुख ने कहा कि अमेरिकी सेना इस तरह के मलबे को अंतरिक्ष में ट्रैक करती रहती है ताकि अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन में उनके टकराने की संभावना का पता लग सके। सेना इस वक्त 10 सेंटीमीटर से बड़े करीब 23 हज़ार ऑब्जेक्ट को ट्रैक कर रही है जिनमें से 10 हज़ार टुकड़े स्पेस मलबे का पार्ट है। इन 10 हज़ार टुकड़ों में से तीन हज़ार टुकड़े चीन द्वारा 2007 में किए गए एंटी-सैटेलाइट टेस्ट की वजह से बने थे। अब भारत द्वारा किए गए टेस्ट की वजह से पिछले दस दिनों में ही आईएसएस के साथ टकराने की संभावनाएं 44 फीसदी बढ़ गई है।
गौरतलब है कि भारत ने पृथ्वी की निचली कक्षा में 300 किलोमीटर की रेंज पर मौजूद एक सैटलाइट को मार गिराया था। भारत का ये ऐंटी-सैटलाइट मिसाइल पूरी तरह से स्वदेशी है। 'मिशन शक्ति' के सफल होने की जानकारी खुद पीएम मोदी ने दी थी। उन्होंने देश के नाम संबोधन में बताया था कि ऐसा करके भारत ने स्पेस पावर के तौर पर खुद को स्थापित किया है। उन्होंने बताया था कि भारत का यह ऐंटी-सैटलाइट मिसाइल पूरी तरह से स्वदेशी है। इस टेस्ट को चिर-प्रतिद्वंद्वियों पाकिस्तान और चीन के लिए कड़ा संदेश भी माना जा रहा था।
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