वाशिंगटन: दक्षिण एशिया के वकीलों की शीर्ष इकाई ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस शासकीय आदेश की निंदा की है जिसमें शरणार्थियों को अमेरिका आने से रोकने और मुस्लिम बहुल देशों संबंधी आव्रजन प्रक्रिया पर रोक लगाने को कहा गया है। उत्तरी अमेरिका के दक्षिण एशियाई बार एसोसिएशन (एसएबीए) और राष्ट्रीय एशियाई प्रशांत अमेरिकी बार एसोसिएशन (एनएपीएबीए) ने अपने संयुक्त बयान में कहा, ये आदेश इस गुमराह विचार पर आधारित हैं कि कुछ निश्चित जातीय जनसंख्या का झुकाव हिंसा की तरफ होता है। ये आदेश अमेरिकी मूल्यों के विपरीत हैं और ये हमारे समुदाय को न तो ज्यादा सुरक्षित बनाएंगे और न ही अमेरिका को मजबूत करेंगे।
इसमें कहा गया है कि आदेश में सभी देशों के शरणार्थियों के आने पर कम से कम 120 दिनों तक रोक लगा दी गई है और सीरिया के शरणार्थियों के लिए यह आदेश अनिश्चितकालीन है। यह अमेरिका में प्रवेश पाने वाले शरणार्थियों की संख्या को कम करता है। यह आदेश राज्यों और मोहल्लों को यह क्षमता प्रदान करता है कि वह शरणार्थियों को अपने अधिकार क्षेत्र में बसने से रोकें और कुछ निश्चित मुस्लिम बहुल देशों के लोगों के प्रवेश को निलंबित करता है।
एसएबीए के अध्यक्ष ने कहा कि कुछ समूह के लोगों को सिर्फ उनके धार्मिक विश्वासों, वे कैसे दिखते हैं, कहां से आते हैं, इसके आधार पर अपराधी मानना और कलंकित करना अमेरिका की समानता की भावना का उल्लंघन है। काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशन ने घोषणा की है कि वह 20 से ज्यादा लोगों की ओर से ट्रंप की हस्ताक्षरित शासकीय आदेश मुस्लिम प्रतिबंध को चुनौती देते हुए संघीय मुकदमा दायर करेगी।
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