वाशिंगटन: वैज्ञानिकों ने पहली बार एक कमजोर परमाणु बंध की पहचान की है, जिसमें एक इलेक्ट्रॉन एक परमाणु को पकड़कर अपने साथ बांध सकता है। इसके बारे में 14 साल पहले सिद्धांत पेश किया गया था। अमेरिका के परड्यू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक बटरफ्लाई रेडबर्ग अणु का अध्ययन किया और बेहद उत्तेजित किए जा सकने वाले दो परमाणुओं के बीच के कमजोर बंध पर गौर किया। उन्होंने कहा कि यह एक दशक से ज्यादा समय पहले से मौजूद रहा होगा।
रेडबर्ग अणुओं का निर्माण उस समय होता है, जब एक इलेक्ट्रॉन को एक परमाणु के नाभिक से दूर भेज दिया जाता है। परड्यू में भौतिकी एवं अंतरिक्ष विज्ञान के प्रोफेसर क्रिस ग्रीने और उनके सहकर्मियों ने वर्ष 2002 में यह सिद्धांत पेश किया था कि ऐसा एक अणु किसी अन्य परमाणु को आकर्षित कर सकता है। ग्रीने ने कहा, आम परमाणुओं में, इलेक्ट्रॉन नाभिक से महज एक या दो एंगस्ट्रॉम दूर होते हैं लेकिन रेडबर्ग परमाणुओं में ये सौ या हजार गुना दूर हो सकते हैं।
ग्रीने ने कहा, 1980 के दशक के अंत में और 1990 की शुरूआत में किए गए प्रारंभिक काम के बाद वर्ष 2002 में हमने यह संभावना देखी कि सुदूर रेडबर्ग इलेक्ट्रॉन एक अन्य परमाणु को एक लंबी दूरी पर बांध सकता है। उन्होंने कहा, इस नई बंधन प्रणाली में एक इलेक्ट्रॉन एक परमाणु को बांध सकता है। यह रसायनशास्त्र के लिहाज से वाकई नया है। यह एक परमाणु को किसी अन्य परमाणु से बांधने का एक पूरा नया तरीका है।
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