सऊदी अरब के शहजादे ने पत्रकार खशोगी की हत्या की मंजूरी दी थी: अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट
अमेरिकी कांग्रेस (संसद) को सौंपी गई एक खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सऊदी अरब के शहजादे (क्राउन प्रिंस) मोहम्मद बिन सलमान ने इस्तांबुल में पत्रकार जमाल खशोगी को ‘‘पकड़ने या मारने’’ के एक अभियान को मंजूरी दी थी।
वाशिंगटन। अमेरिकी कांग्रेस (संसद) को सौंपी गई एक खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सऊदी अरब के शहजादे (क्राउन प्रिंस) मोहम्मद बिन सलमान ने इस्तांबुल में पत्रकार जमाल खशोगी को ‘‘पकड़ने या मारने’’ के एक अभियान को मंजूरी दी थी। सऊदी अरब के असंतुष्ट पत्रकार की बर्बर हत्या से संबंधित यह रिपोर्ट बाइडन प्रशासन ने जारी की है।
खशोगी की दो अक्टूबर 2018 को तुर्की के इस्तांबुल शहर में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में मोहम्मद बिन सलमान से संबंधित लोगों ने हत्या कर दी गई थी। वह अमेरिका के वैध स्थायी निवासी थे और "वाशिंगटन पोस्ट" अखबार में लेख लिखते थे और शहजादे की नीतिओं के कटु आलोचक थे। उनके शव के टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए थे और उनके अवशेष कभी नहीं मिले। सऊदी अरब को आखिरकार मानना पड़ा कि खशोगी की हत्या गलती से हुई थी और हालांकि हत्याकांड में शहजादे की संलिप्तता से इनकार किया था।
राष्ट्रीय खुफिया निदेशालय कार्यालय (ओडीएनआई) ने कांग्रेस (संसद) को सौंपी रिपोर्ट में कहा कि मोहम्मद बिन सलमान ने शायद ऐसा माहौल बनाया जिसमें उनके सहयोगियों में इस बात का डर पैदा हुआ कि सौंपा गया काम पूरा नहीं करने पर उन्हें बर्खास्त किया जा सकता है या उनकी गिरफ्तारी की जा सकती है। रिपोर्ट में कहा गया कि इस बात की संभावना नहीं है कि उनके सहयोगी शहजादे के आदेश पर सवाल कर सकते थे या फिर संवेदनशील अभियान बिना उनकी मंजूरी के चला सकते थे। यह रिपोर्ट 11 फरवरी की है और रिपोर्ट के एक हिस्से को गोपनीयता के दायरे से बाहर किया गया है जिसे शुक्रवार को कांग्रेस को सौंपा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, " हमारा आकलन है कि सऊदी अरब के शहजादे मोहम्मद बिन सलमान ने तुर्की के इस्तांबुल में सऊदी पत्रकार खशोगी को पकड़ने या मारने के अभियान को मंजूरी दी थी।"
ओडीएनआई ने कहा कि उसका आकलन इस पर आधारित है कि सऊदी अरब में मोहम्मद बिन सलमान की मर्जी के बिना फैसले नहीं होते हैं और अभियान में उनके प्रमुख सलाहकार और उनके सुरक्षा दस्ते के एक सदस्य की सीधी संलिप्तता है और खशोगी समेत विदेश में रह रहे असंतुष्टों को चुप कराने के लिए हिंसक उपाय करने को लेकर उनका समर्थन था। रिपोर्ट कहती है, "2017 से शहजादे का देश की सुरक्षा एवं खुफिया संगठनों पर पूर्ण नियंत्रण है। इस बात की संभावना नहीं है कि सऊदी अधिकारी इस प्रकृति का अभियान बिना वलीअहद की इजाजत के चलाएं।"
अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए सऊदी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सऊदी अरब की सरकार देश के नेतृत्व से संबंधित एक रिपोर्ट में उल्लेखित नकारात्मक, झूठे और अस्वीकार्य आकलन को खारिज करते हैं और रिपोर्ट में गलत जानकारी और निष्कर्ष हैं। कांग्रेस को रिपोर्ट मिलने के कुछ देर बाद, अमेरिका विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने "खशोगी प्रतिबंध" की घोषणा की, जिसमें सऊदी अरब के 76 ऐसे व्यक्तियों पर वीजा प्रतिबंध लगाए गए हैं जिनके बारे में माना जाता है कि वे विदेशों में असहमति के स्वरों को डराने-धमकाने में शामिल हैं। यह सिर्फ खशोगी हत्याकांड तक सीमित नहीं है।
ओडीएनआई रिपोर्ट कहती है कि सऊदी अरब की 15 सदस्यीय टीम दो अक्टूबर 2018 को इस्तांबुल पहुंची थी। इसमें शाही दरबार में ' सऊदी सेंटर फॉर स्टडिज़ एंड मीडिया अफेयर्स ' के लिए काम करने वाले या उससे जुड़े अधिकारी शामिल थे। खशोगी तुर्की महिला से अपनी शादी के सिलसिले में दस्तावेजों के लिए महावाणिज्य दूतावास गए थे।