लॉस एंजिलिस: वर्ष 1972 में अपोलो 16 अभियान के दौरान चंद्रमा की सतह से एकत्र की गई एक पुरानी चट्टान का विश्लेषण करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी के इस उपग्रह का अंदरूनी हिस्सा बहुत सूखा प्रतीत होता है। (तालिबान की चेतावनी, अमेरिका के लिए कब्रगाह बन जाएगा अफगानिस्तान)
चंद्रमा पर नमी का सवाल इसलिए अहम है क्योंकि पानी और अन्य वाष्पशील तत्वों एवं यौगिकों की मात्रा चंद्रमा के इतिहास और इसके बनने के बारे में संकेत देती है। अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन डिएगो के जेम्स डे ने कहा, यह एक बड़ा सवाल रहा है कि चंद्रमा सूखा है या नमीयुक्त। यह मामूली सी बात लग सकती है लेकिन असल में यह अहम है।
डे ने कहा कि नतीजे दिखाते हैं कि जब चंद्रमा बना, तब वह बहुत अधिक गर्म था। शोधकर्ताओं का मानना है कि वह इतना अधिक गर्म रहा होगा कि जल या चंद्रमा की स्थितियों के तहत कोई अन्य वाष्पशील तत्व या यौगिक बहुत पहले ही वाष्पित हो गए होंगे। यह निष्कर्ष शोधकर्ताओं ने वर्ष 1972 में अपोलो 16 अभियान के दौरान चंद्रमा की सतह से एकत्र की गई एक पुरानी चट्टान का विश्लेषण कर निकाला है।
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