बीजिंग. कोरोना वायरस महामारी के चलते तमाम देशों में रोजगार का संकट छाया हुआ है, करोड़ों लोगों की नौकरी जाने का खतरा मंडरा रहा है। विश्व के सबसे ताकतवर देश अमेरिका का हाल भी ऐसा ही है। कोविड-19 पर नियंत्रण कर पाने में नाकाम ट्रंप प्रशासन के लिए रोजगार का मसला बहुत बड़ी चुनौती बन सकता है। नवंबर में चुनाव हैं और विपक्षी नेता इस मुद्दे को जमकर भुना रहे हैं।
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इस बीच अमेरिकी कांग्रेस एक आर्थिक राहत विधेयक पर बहस कर रही है। अमेरिका के श्रम विभाग के ताजा आंकड़े इस बात की तसदीक करते हैं कि कोरोना महामारी ने लाखों नागरिकों को बेरोजगार बना दिया है। 15 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में 11 लाख नए लोगों ने बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन किया है। इस संख्या में पिछले हफ्ते की तुलना में 1 लाख 35 हजार नए लोग जुड़े हैं।
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ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स में प्रमुख अर्थशास्त्री नेन्सी वंडेन हाउटन के मुताबिक लाभ का दावा करने वाले लोगों की संख्या असाधारण रूप से बहुत ज्यादा है। यह ग्रेट डिप्रेशन यानी महामंदी के दोगुने से भी अधिक है। ऐसे में श्रम बाजार की स्थिति बेहतर होने में लंबा वक्त लग सकता है।
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हालांकि पिछले हफ्ते, शुरूआती बेरोजगारी संबंधी आंकड़े गत 21 हफ्तों में पहली बार दस लाख से नीचे आए। श्रम विभाग के अनुसार यह संख्या 9 लाख 71 हजार रही। वहीं मार्च के महीने में कोविड-19 महामारी की सबसे बुरी स्थिति के दौरान पहली बार बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन करने वालों की संख्या 70 लाख से अधिक पहुंच गयी थी। मार्च में अमेरिका की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गयी थी। क्योंकि होटल, बार से लेकर स्कूल, जिम सब बंद करने पड़े थे।
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गौतरलब है कि महामारी सामने आने से पहले अमेरिका में बेरोजगारी दर रिकार्ड न्यूनतम स्तर यानी 3.5 फीसदी तक पहुंच गयी थी। जो अभी करीब 10.2 प्रतिशत बतायी जाती है, हालांकि कुछ समय पहले यह 10.6 फीसदी के रिकॉर्ड लेवल तक चढ़ गयी थी। इस दर में गिरावट आने की वजह यह माना जा रहा है कि अमेरिकी कंपनियों ने पिछले तीन महीनों में लगभग 93 लाख कामगारों को काम पर रखा है। यहां बता दें कि मार्च और अप्रैल महीने में 2 करोड़ 20 लाख लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा था।
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