राष्ट्रपति नहीं बनना चाहते थे ट्रंप, चुनाव जीतने के बाद खूब रोई थी मेलानिया
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं बनना चाहते थे और प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप को जब अचंभित करने वाली चुनावी जीत का पता चला तो वह खुश नहीं थी बल्कि रोने लगी थीं।
वाशिंगटन: डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं बनना चाहते थे और प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप को जब अचंभित करने वाली चुनावी जीत का पता चला तो वह खुश नहीं थी बल्कि रोने लगी थीं। अमेरिका के एक पत्रकार की नई किताब में यह खुलासा किया गया है। माइकल वॉल्फ द्वारा लिखी गई ‘‘फायर एंड फरी: इनसाइड द ट्रंप व्हाइट हाउस’’ किताब में दावा किया गया है कि ट्रंप का अंतिम लक्ष्य कभी भी जीतना नहीं था। ट्रंप ने अपने सहायक सैम नुनबर्ग को चुनावी दौड़ की शुरुआत में कहा था, ‘‘उनका अंतिम लक्ष्य कभी भी जीतना नहीं था। मैं दुनिया में सबसे मशहूर व्यक्ति हो सकता हूं।’’ किताब के अंशों के अनुसार, ‘‘उनके लंबे समय से दोस्त रहे फॉक्स न्यूज के पूर्व प्रमुख रोजर एलिस कहना चाहते थे कि अगर तुम टेलीविजन में करियर बनाना चाहते हो तो सबसे पहले राष्ट्रपति पद के लिए खड़े हों।’’ (पाक की चेतावनी, अमेरिका का बयान पीढियों से विकसित द्विपक्षीय संबंधों के लिए ‘‘नुकसानदेह’’ )
इस किताब के अंश न्यूयॉर्क पत्रिका में ‘‘डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति नहीं बनना चाहते थे’’ शीर्षक से प्रकाशित हुए हैं जिसके बाद व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव सारा सैंडर्स ने इन्हें खारिज किया है। सारा ने कहा, ‘‘असल में एक छोटी सी बातचीत हुई थी जिसका किताब से कोई लेना देना नहीं है। मुझे लगता है कि राष्ट्रपति के कार्यभार संभालने के बाद से करीब पांच से सात मिनट यह बातचीत हुई थी और उनके साथ केवल इतनी ही बातचीत हुई थी।’’ वॉल्फ के मुताबिक, व्हाइट हाउस में प्रवेश करने के बाद ट्रंप को कामकाज के बारे में बहुत कम पता था। लेखक ने दावा किया कि ट्रंप को सुझाव देना सबसे ज्यादा जटिल था। ट्रंप के राष्ट्रपति के कामकाज का मुख्य मुद्दा यह था कि वे अपनी विशेषज्ञता पर विश्वास करते थे चाहे वह विचार कितना ही अप्रासंगिक या तुच्छ ही क्यों ना हो।
किताब में कहा गया है, जूनियर ट्रंप ने अपने एक दोस्त को बताया था कि ‘‘चुनावी रात को आठ बजे के बाद जब अप्रत्याशित रुझानों ने ट्रंप की जीत की पुष्टि कर दी तो कि उसके पिता ऐसे लग रहे थे जैसे उन्होंने भूत देख लिया है। मेलानिया खुश होने की बजाय रो रही थीं।’’ न्यूयॉर्क मैगजीन के अनुसार चुनाव के दिन से गत अक्तूबर तक वॉल्फ ने 18 महीने तक राष्ट्रपति और उनके वरिष्ठ कर्मचारियों से बातचीत की और उनका साक्षात्कार लिया। वॉल्फ ने कहा, ‘‘व्हाइट हाउस में ट्रंप के खुद के व्यवहार ने इतनी अराजकता और अव्यवस्था फैलाई जितनी किसी और चीज ने नहीं।’’
व्हाइट हाउस ने इस किताब की सामग्री को खारिज किया है। यह किताब अगले सप्ताह से दुकानों पर उपलब्ध होगी। सैंडर्स ने कहा, ‘‘यह किताब झूठ से भरी है और इसमें उन लोगों के हवाले से भ्रामक तथ्य रखे गए हैं जिनकी व्हाइट हाउस तक कोई पहुंच नहीं है।’’ उन्होंने अपने नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘लेखक को इस किताब के लिए व्हाइट हाउस तक कोई पहुंच नहीं मिली। वास्तव में वह कभी राष्ट्रपति के साथ नहीं बैठे।’’