संयुक्त राष्ट्र: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र को संबोधित करते हुए पाकिस्तान और चीन पर इशारों में निशाना साधा। मोदी ने कहा कि जो देश आतंकवाद का राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं उन्हें यह समझना होगा कि आतंकवाद उनके लिए भी उतना ही बड़ा खतरा है। इसके साथ ही चीन पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कोविड के ओरिजन के संदर्भ में और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग’ को लेकर वैश्विक गवर्नेंस से जुड़ी संस्थाओं ने दशकों के परिश्रम से बनी अपनी विश्वश्नीयता को नुकसान पहुंचाया है।
‘हमें अपना दायित्व निभाना ही होगा’
पाकिस्तान पर निशाना साधता हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘रिग्रेसिव थिंकिंग के साथ जो देश आतंकवाद को राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं उन्हें यह समझना होगा कि आतंकवाद उनके लिए भी उतना ही बड़ा खतरा है। यह सुनिश्चित किया जाना बहुत जरूरी है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने और आतंकी हमलों के लिए न हो। हमें इस बात के लिए भी सतर्क रहना होगा कि वहां की नाजुक स्थितियों का कोई देश अपने स्वार्थ के लिए एक हथियार की तरह इस्तेमाल करने की कोशिश न करे। इस समय अफगानिस्तान की जनता को वहां की महिलाओं और बच्चों को अल्पसंख्यकों को मदद की जरूरत है और इसमें हमें अपना दायित्व निभाना ही होगा।’
‘यूएन पर आज कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं’
संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर टिप्पणी करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘भारत के महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने सदियों पहले कहा था जब सही समय पर सही कार्य नहीं किया जाता तो समय ही उस कार्य की सफलता को समाप्त कर देता है। संयुक्त राष्ट्र को खुद को प्रासंगिक बनाए रखना है तो उसे अपनी इफेक्टिवनेस को सुधारना होगा। यूएन पर आज कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं, इन सवाल को हमने क्लाइमेट क्राइसिस में देखा है, कोविड क्राइसिस में देखा है, दुनिया के कई हिस्सों में चल रही प्रॉक्सी वॉर, आतंकवाद और अभी अफगानिस्तान के संकट ने इन सवालों को और गहरा कर दिया है।’
पीएम मोदी ने चीन पर भी साधा निशाना
चीन पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘कोविड के ओरिजन के संदर्भ में और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग को लेकर वैश्विक गवर्नेंस से जुड़ी संस्थाओं ने दशकों के परिश्रम से बनी अपनी विश्वश्नीयता को नुकसान पहुंचाया है। मैं गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर के शब्दों के साथ अपनी बात समाप्त कर रहा हूं। अपने शुभ कर्मपथ पर निर्भीक होकर आगे बढ़ो, सभी दुर्बलताएं और शंकाएं समाप्त हों, यह संदेश आज के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र के लिए जितना प्रासंगिक है उतना ही हर जिम्मेदार देश के लिए भी प्रासंगिक है। मुझे विश्वास है कि हम सबका प्रयास विश्व में शांति और सौहार्द बढ़ाएगा, विश्व को स्वस्थ, सुरक्षित और समृद्ध बनाएगा।’
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