PM Modi @ G20: पीएम मोदी ने की शी जिनपिंग, डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात, आतंकवाद और कट्टरपंथ को बताया सबसे बड़ी चुनौती
जी20 देशों की दो दिवसीय शिखर वार्ता की शुक्रवार को शुरुआत हुई और इसपर रूस के साथ अमेरिका के तनाव और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार और जलवायु को लेकर आक्रामक रूख का प्रभाव साफ नजर आ रहा है।
ब्यूनस आयर्स: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि विश्व आतंकवाद और कट्टरपंथ की बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है। ब्रिक्स और जी-20 देशों के साथ मिलकर काम करने को रेखांकित करते हुए उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के आतंकरोधी ढांचे को मजबूत बनाने पर जोर दिया ताकि आतंकवादियों के नेटवर्क, वित्तपोषण और गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सके। अर्जेंटीना में जी-20 सम्मेलन के इतर ब्रिक्स देशों के नेताओं की औपचारिक बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने आर्थिक अपराधियों और भगोड़ों के खिलाफ, जो वैश्विक आर्थिक स्थिरता के लिए बड़ा खतरा पैदा कर रहे हैं, भी मिलकर काम करने को कहा।
आतंकवाद और कट्टरपंथ सबसे बड़ी चुनौतियांउन्होंने कहा "हम सब इस पर सहमत हैं कि आतंकवाद और कट्टरपंथ सबसे बड़ी चुनौतियां हैं, जिनका विश्व आज सामना कर रहा है। ये केवल शांति और सुरक्षा के लिए ही खतरा नहीं हैं, बल्कि आर्थिक विकास के लिए भी चुनौती हैं।" उन्होंने ब्रिक्स और जी-20 समेत सभी देशों से फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफटीए) के मानकों और संयुक्त राष्ट आतंकरोधी ढांचे को मजबूत बनाने का आग्रह किया ताकि आतंकवादियों के नेटवर्क, उनके वित्त पोषण और गतिविधियों की रोकथाम की जा सके। जी-7 देशों की पहल पर धनशोधन के खिलाफ लड़ाई में नीतियों का निर्माण करने के लिए 1989 में अंतरसरकारी संगठन एफएटीएफ की स्थापना की गई। प्रधानमंत्री मोदी का आतंकवाद से लड़ाई को लेकर दिया गया यह बयान महत्वपूर्ण है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान स्थित जैश ए मुहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने के भारत के प्रयासों को चीन ने बार-बार अवरुद्ध किया है।
प्रधानमंत्री मोदी के अलावा बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सी रामफोसा, ब्राजील के राष्ट्रपति माइकल तिमेर उपस्थित थे। मोदी ने कहा कि वैश्वीकरण ने लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है, लेकिन हम वैश्वीकरण के लाभों के समान वितरण की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रों का संरक्षणवाद बढ़ रहा है और मुद्रा अवमूल्यन और तेल की कीमतों में वृद्धि ने पिछले कुछ वर्षों में अर्जित लाभ को खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा कि हालांकि अभी भी विश्व की जीडीपी में ब्रिक्स देशों की हिस्सेदारी (23 फीसदी) बढ़ाने और व्यापार (16 फीसदी) में बढ़ोतरी की बेहद संभावनाएं हैं। ब्रिक्स देश वैश्विक स्थिरता और विकास में सहयोग दे रहे हैं। हमने दुनिया की अर्थव्यवस्था और राजनीतिक ढांचे को स्वरूप प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भारत और ब्रिक्स के चार अन्य देशों ने शुक्रवार को पारदर्शी, गैर-भेदभावपूर्ण, खुले एवं समावेशी अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिये नियम आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली का आह्वान किया। उन्होंने यह आह्वान बढ़ते संरक्षणवाद के बीच किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और ब्राजील के राष्ट्रपति माइकल तेमेर ने जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर अलग से मुलाकात की और अंतररराष्ट्रीय राजनीति, सुरक्षा और वैश्विक आर्थिक एवं वित्तीय मुद्दों के साथ सतत विकास की चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया।
बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में पांचों नेताओं ने कहा है कि वे बहुपक्षवाद और निष्पक्ष, समान, लोकतांत्रिक और प्रतिनिधिमूलक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को मजबूत बनाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं। उन्होंने ब्रिक्स समूह के कुछ देशों के खिलाफ लगातार आतंकवादी हमलों और सभी तरह के आतंकवाद की निंदा की। बयान के अनुसार, ‘‘हम संयुक्तराष्ट्र के अंतर्गत एक मजबूत अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर जोहानिसबर्ग घोषणा में चिन्हित सभी तत्वों सहित, आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक प्रयास करने का आग्रह करते हैं...।’’
उन्होंने यूएनएफसीसीसी के सिद्धांतों के तहत अपनाये गये पेरिस समझौते के पूर्ण रूप से क्रियान्वयन को लेकर अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। इसमें उन्होंने साझा लेकिन विभिन्न जिम्मेदारियों और अपनी-अपनी क्षमताओं के सिद्धांत की भी बात की। ब्रिक्स नेताओं ने विकसित देशों से पर्यावरण संबंधी चुनौतियों से पार पाने के लिये वित्तीय, प्रौद्योगिकी और क्षमता निर्माण में समर्थन देने का आग्रह किया। अमेरिका तथा चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध के बीच इन नेताओं ने विश्व व्यापार संगठन के विवाद निपटान प्रणाली के प्रभावी तरीके से कार्य करने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि इसके सदस्यों में डब्ल्यूटीओ के साथ जुड़ने का विश्वास बना रहे। बयान के अनुसार, ‘‘हम पारदर्शी, भेद-भाव रहित, खुले और समावेशी अंतरराष्ट्रीय व्यापार सुनिश्चित करने के लिये नियम आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं।’’