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तालिबान को मान्यता देने के सवाल पर अमेरिका ने कहा-'कोई जल्दबाजी नहीं'

‘‘अमेरिका या अन्य किसी देश, जिससे हमने बात की है उसे तालिबान को मान्यता देने की कोई जल्दबाजी नहीं है। यह तालिबान के व्यवहार और इस बात पर निर्भर करता है कि वह वैश्विक समुदाय की उम्मीदों पर खरा उतरता है या नहीं।’’ 

तालिबान को मान्यता देने के सवाल पर अमेरिका ने कहा-'कोई जल्दबाजी नहीं'- India TV Hindi Image Source : PTI तालिबान को मान्यता देने के सवाल पर अमेरिका ने कहा-'कोई जल्दबाजी नहीं'

 वाशिंगटन: व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिका या अन्य किसी देश को तालिबान को मान्यता देने की कोई जल्दबाजी नहीं है, क्योंकि यह कदम पूरी तरह इस बात पर निर्भर करेगा कि वह वैश्विक समुदाय की उम्मीदों पर कितना खरा उतरता है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘अमेरिका या अन्य किसी देश, जिससे हमने बात की है उसे तालिबान को मान्यता देने की कोई जल्दबाजी नहीं है। यह तालिबान के व्यवहार और इस बात पर निर्भर करता है कि वह वैश्विक समुदाय की उम्मीदों पर खरा उतरता है या नहीं।’’ 

वहीं, एक अन्य संवाददाता सम्मेलन में विदेशी मामलों की अवर सचिव विक्टोरिया जे.नुलैंड ने कहा, ‘‘हम उन सभी स्तर पर बातचीत जारी रखेंगे जो, हमारे साथ-साथ हमारे सहयोगियों एवं भागीदारों के हित में है।’’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन पहले हम उन्हें संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत अपने दायित्वों को पूरा करते हुए देखना चाहते हैं, साथ ही अफगानिस्तान को लेकर अपनी अपेक्षाओं के संबंध में उनकी खुद की घोषणा, मानवाधिकारों का सम्मान करने, अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करने, विदेशी नागरिक तथा अफगान जो देश छोड़ना चाहते हैं, उन्हें अनुमति देने संबंधी जो सार्वजनिक बयान उन्होंने दिए हैं, उन पर खरा उतरते देखना चाहते हैं।’’ 

उन्होंने कहा कि यकीनन निकासी अभियान के दौरान अमेरिका, तालिबान के साथ सम्पर्क में था। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने ‘फॉक्स न्यूज’ से बुधवार को कहा कि तालिबान के अफगानिस्तान को फिर से अपने नियंत्रण में लेने के बाद, चीन पर करीबी नजर रखने की जरूरत है क्योंकि वह बगराम वायु सेना अड्डे पर कब्जा करने की योजना बना रहा है, जो लगभग दो दशकों तक अमेरिका के नियंत्रण में था। 

उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे प्रमुख दोस्तों तथा सहयोगियों से सम्पर्क कर उन्हें आश्वासन दे कि अमेरिका हमेशा उनका साथ देगा।

इनपुट-भाषा

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