वेनेजुएला ने अमेरिका के दो शीर्ष राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया
निकोलस मादुरो के राष्ट्रपति के रूप में पुन : निर्वाचन को लेकर वाशिंगटन द्वारा प्र तिबंधों को कड़ा करने के बाद वेनेजुएला ने अमेरिका के दो शीर्ष राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया है।
काराकास: निकोलस मादुरो के राष्ट्रपति के रूप में पुन : निर्वाचन को लेकर वाशिंगटन द्वारा प्रतिबंधों को कड़ा करने के बाद वेनेजुएला ने अमेरिका के दो शीर्ष राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया है। राष्ट्रपति मादुरो ने टीवी पर दिए भाषण में राजनयिकों को देश से निकालने का ऐलान किया। इससे पहले दक्षिण अमेरिकी राष्ट्र में रविवार को हुए चुनाव में मादुरो को विजेता घोषित किया गया था। यह देश भारी आर्थिक संकट से जूझ रहा है और दुनिया में अलग - थलग पड़ता जा रहा है। इस चुनाव का वेनेजुएला की मुख्य विपक्षी पार्टियों ने बहिष्कार किया था और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इसकी निंदा की थी। अमेरिका ने इस चुनाव को ढोंग बताया था। (शिखर वार्ता पर छाए अनिश्चिता के बादल के बावजूद व्हाइट हाउस में तैयारियां जारी )
वेनेजुएला के राष्ट्रपति ने यहां अमेरिका के दूतावास के प्रभारी टोड रोबिनसन और मिशन के उप प्रमुख ब्रायन नरनजो को ऐसा व्यक्ति घोषित कर दिया जिनकी यहां आवश्यकता नहीं है। मादुरो ने उन्हें देश छोड़ने के लिए 48 घंटे का वक्त दिया और कहा, ‘‘अब बहुत साजिश हो गई। ’’ अमेरिका ने तत्काल बदले की कार्रवाई की चेतावनी दी। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने एएफपी से कहा कि वाशिंगटन को वेनेजुएला सरकार की ओर से राजनयिक माध्यम से कोई अधिसूचना नहीं मिली है , लेकिन अगर निष्कासन की पुष्टि होती है तो अमेरिका इसके बदले में उचित कार्रवाई कर सकता है। सोमवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने काराकास के खिलाफ प्रतिबंध कड़े कर दिए थे जिससे मादुरो के लिए देश की संपत्ति बेचना मुश्किल हो गया।
मादुरो ने कहा , ‘‘ मैं वेनेजुएला के खिलाफ लगे सभी प्रतिबंधों को नकारता हूं , क्योंकि उन्होंने देश को नुकसान पहुंचाया है। इनसे वेनेजुएला के लोगों को परेशानी हुई हैं।’’ उन्होंने वायदा किया कि वह इस बात के सबूत पेश करेंगे कि अमेरिका के ये दोनों राजनयिक राजनीतिक , सैन्य और आर्थिक साजिशों में शामिल थे। अमेरिका और वेनेजुएला ने वर्ष 2010 से एक-दूसरे के यहां राजदूत नियुक्त नहीं किए हैं। दिवंगत वामपंथी राष्ट्रपति हुगो शावेज के वर्ष 1999 में सत्ता पर काबिज होने के बाद से दोनों देशों के रिश्ते तल्ख हैं।