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रक्षा समझौते से दोनों देशों के सैन्य अभियान ज्यादा कारगर बनेंगे: पेंटागन

पेंटागन ने कहा है कि अमेरिका और भारत के बीच इस सप्ताह की शुरूआत में हुये रक्षा समझौते से दोनों देशों के बीच के संयुक्त सैन्य अभियान अधिक कारगर बनेंगे।

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वाशिंगटन: पेंटागन ने कहा है कि अमेरिका और भारत के बीच इस सप्ताह की शुरूआत में हुये रक्षा समझौते से दोनों देशों के बीच के संयुक्त सैन्य अभियान अधिक कारगर बनेंगे। पेंटागन के प्रेस सचिव पीटर कुक ने इस बात पर भी जोर दिया कि दोनों देशों के बीच मजबूत रक्षा संबंधों से क्षेत्रीय सुरक्षा बढ़ाने में मदद मिलेगी। कुक ने कल एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, हमारा मानना है कि भारतीय सेना के साथ हमारे अभियानों को ज्यादा कारगर एवं प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी। यह समझौता अन्य देशों के साथ किये गए हमारे समझौतों के अनुरूप है।

उल्लेखनीय है कि रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर और अमेरिका के रक्षा सचिव एश्टन कार्टर ने कुछ दिन पहले लाजिस्टिक ममोरंडम ऑफ एग्रीमेंट :एलईएमओए: पर हस्ताक्षर किये थे और कहा था कि इससे दोनों देशों को व्यवहारिक संबंध एवं आदान-प्रदान के अवसर उपलब्ध होंगे। इस समझौते पर भारत के पड़ोसी देशों की प्रतिकूल प्रतिक्रिया के बारे में पूछने पर कुक ने कहा कि इस समझौते के बारे में किसी देश को चिंता करने की जरूरत नहीं है।

उन्होंने कहा, मैं इस समझौते की सकारात्मक प्रवृत्ति के बारे में बताना चाहूंगा। यह समझौता दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों और क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ाने के लिए किया गया है। यह समझौता और भारत के साथ हमारे संबंध दूसरे देशों की चिंता का विषय नहीं होना चाहिये। उन्होंने मजबूती से कहा, हम इसे यह भारत के साथ हमारे रक्षा संबंधों को मजबूत बनाने के अवसर के तौर पर देखते हैं। ये मजबूत संबंध इस पूरे क्षेत्र में सुरक्षा की वृद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं।

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कमांडर :अमेरिकी नौसेना: गैरी रॉस ने पीटीआई भाषा से कहा कि एलईएमओए समझौता सशस्त्र अमेरिकी और भारतीय सैनिकों के बीच आपसी साजो-सामान संबंधी सहयोग सुगम बनाता है और यह बगैर पूर्व भगुतान किये, बहुत कम समय में आपूर्ति एवं सेवाओं की आदान-प्रदान की अधिकृत अनुमति देता है। उन्होंने कहा, दो देशों के बीच सैन्य अभ्यासों की संख्या बढ़ने से इस प्रकार के समझौते विशेष तौर पर महत्वपूर्ण हो जाते हैं।

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