सीरिया से अमेरिकी सैनिकों को बुलाने में अब ढिलाई दिखा रही है ट्रंप सरकार?
रिपब्लिकन पार्टी के एक सांसद ने दावा किया है कि सीरिया से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया धीमी की जा रही है।
वॉशिंगटन: रिपब्लिकन पार्टी के एक सांसद ने दावा किया है कि सीरिया से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया धीमी की जा रही है। सांसद सेन लिंजी ग्राहम के मुताबिक, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया धीमी करने का आदेश दिया है। साउथ कैरोलिना से रिपब्लिकन सांसद ने व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति ट्रंप के साथ दोपहर का भोजन करने के बाद रविवार को कहा, ‘मुझे लगता है कि हम विराम की स्थिति में हैं।’
ट्रंप ने इस महीने की शुरुआत में घोषणा की थी कि वह युद्ध प्रभावित सीरिया से तकरीबन 2,000 अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने का आदेश दे रहे हैं। उनके सहायकों को उम्मीद थी कि सीरिया से सैनिकों को बुलाने का काम तेजी से पूरा होगा। राष्ट्रपति ने सीरिया में इस्लामिक स्टेट समूह पर जीत की घोषणा की थी। हालांकि, कुछ जगहों पर लड़ाई बाकी है। ग्राहम ट्रंप के इस फैसले के मुखर आलोचक रहे हैं।
ट्रंप के इस फैसले की दोनों दलों ने आलोचना की है। इस घोषणा ने अमेरिकी सांसदों और अमेरिका के सहयोगियों को हैरान कर दिया था। इनमें कुर्द भी शामिल थे जो अमेरिका के साथ इस्लामिक स्टेट समूह से लड़े थे। ग्राहम ने कहा, ‘मेरा मानना है कि हम चतुराई से प्रक्रिया को धीमा कर रहे हैं।’ आलोचकों ने दावा किया था कि अमेरिका के अपने सैनिकों को वापस बुलाने से ईरान और रूस का मनोबल बढ़ेगा, जिन्होंने सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार का समर्थन किया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन के अगले सप्ताहांत में इस्राइल और तुर्की जाने की संभावना है। वहां वह अमेरिका के सहयोगियों से राष्ट्रपति की योजना पर चर्चा करेंगे। सीएनएन के ‘स्टेट ऑफ द यूनियन’ कार्यक्रम में ग्राहम ने कहा, ‘मैं उनसे कहने जा रहा हूं कि वह अपने जनरलों के साथ बैठें और इसे कैसे किया जाए इसपर पुनर्विचार करें। इसे धीमा करें। इस बात को सुनिश्चित करें कि यह सही से हो। सुनिश्चित करें कि ISIS कभी न लौटे। सीरिया को ईरानियों के लिए न छोड़ें। वह इस्राइल के लिए दु:स्वप्न है।’
उन्होंने कहा, ‘और आखिर में अगर हम कुर्दों को छोड़ते हैं, उन्हें उनकी हालत पर छोड़ देते हैं और अगर वे मारे जाते हैं तो भविष्य में कौन आपकी मदद करने जा रहा है। मैं चाहता हूं कि लड़ाई दुश्मन के यहां लड़ी जाए, न कि हमारे यहां। इसलिए हमें इराक, सीरिया और अफगानिस्तान में बलों को तैनात रखने की जरूरत है।’