भारतीय सांसदों ने कहा, अमेरिका में कम हो रहा है पाक का समर्थन
वाशिंगटन: भारतीय सांसदों के एक समूह का कहना है कि अमेरिका में पाकिस्तान का समर्थन तेजी से कम हो रहा है क्योंकि पाकिस्तान कुछ आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने में बेरूखी दिखा रहा है
वाशिंगटन: भारतीय सांसदों के एक समूह का कहना है कि अमेरिका में पाकिस्तान का समर्थन तेजी से कम हो रहा है क्योंकि पाकिस्तान कुछ आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने में बेरूखी दिखा रहा है और उन्हें लगातार पनाहगाह मुहैया करा रहा है। बीजू जनता दल (बीजद) के बैजयंत जय पांडा ने संवाददाताओं को बताया, एक चीज साफ तौर पर सामने आयी है कि वे (अमेरिकी) पाकिस्तान से बहुत नाखुश हैं। वे इस बात को लेकर बहुत चिंतित है, जिस तरह से वादे तोड़े हैं, (अफगानिस्तान में) अमेरिकियों की जिंदगी दांव पर है।
फिक्की द्वारा आयोजित इंडो-यूएस फोरम ऑफ पार्लियामेंटेरियन (आईयूएफपी) के तहत सात सदस्यीय सांसदों के एक शिष्टमंडल का नेतृत्व कर रहे पांडा ने बताया कि इन बैठकों से उन्होंने और उनके साथियों ने जो मतलब निकाला है वह यह है कि पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका में पाकिस्तान का समर्थन काफी कम हुआ है। पांडा ने बताया कि इसके परिणामस्वरूप अफगानिस्तान में भारत की रचनात्मक और विकासात्मक भूमिका के प्रति ज्यादा संवेदनशीलता और मान्यता है।
पांडा ने बताया, पहले ऐसा मामला नहीं था। हम देख सकते हैं कि (अमेरिकियों) का कुछ रूख (अफगानिस्तान में भारत की भूमिका को लेकर) बदल रहा है। वे आज अफगानिस्तान में भारत के लगातार और बढ़ते निवेश को लेकर बहुत खुश हैं। एक या दो साल पूर्व तक पाकिस्तान के दबाव के प्रति अमेरिकी संवेदनशील रहते थे।
उन्होंने बताया, दुनिया सीमा पार आतंकवाद को जानती है जिसका हम सामना कर रहे हैं, यह कश्मीर मुद्दे से जुड़ी है। कश्मीर की हिंसा और चिंता को लेकर कुछ मुद्दों पर चर्चा हुयी लेकिन यह कुल मिला कर बढ़ती हिंसा को लेकर आम चिंता थी जिसको लेकर हम खुद चिंतित हैं। हम इससे निपट रहे हैं। शिष्टमंडल में शामिल अन्य सदस्यों में भाजपा के अनुराग ठाकुर और हरीश चंद्र मीणा, समाजवादी पार्टी के नीरज शेखर, तेलगू देशम पार्टी के जयदेव गल्ला और कांग्रेस के राजीव साटव और सुष्मिता देव शामिल हैं।
यहां पर अपने दौरे के दौरान भारतीय सांसदों ने शीर्ष अमेरिकी सांसदों, ओबामा प्रशासन के अधिकारियों और शीर्ष रणनीतिकारों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ दशक में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंध पूरी तरह बदल गया है। उन्होंने बताया कि दोनों देशों में इसे द्विपक्षीय समर्थन मिला है।