अमेरिका में भारतीय ने कबूला आतंकी साजिश रचने का गुनाह
न्यूयार्क: अमेरिका में शरण लिए 42 साल के एक भारतीय व्यक्ति ने खालिस्तानी आतंकवादियों को कथित रूप से सहयोगी सामग्री और संसाधन उपलब्ध करा कर अधिकारियों की हत्या सहित भारत में आतंकी साजिश रचने का
न्यूयार्क: अमेरिका में शरण लिए 42 साल के एक भारतीय व्यक्ति ने खालिस्तानी आतंकवादियों को कथित रूप से सहयोगी सामग्री और संसाधन उपलब्ध करा कर अधिकारियों की हत्या सहित भारत में आतंकी साजिश रचने का अपना गुनाह कबूल लिया है। अमेरिका में कार्यकारी सहायक अटॉर्नी जनरल फॉर नेशनल सिक्युरिटी मेरी मैककॉर्ड ने बताया कि नेवादा के रहने वाले बालविंदर सिंह ने यूएस डिस्टि्रक्ट जज लैरी हिक्स के समक्ष आतंकवादियों को सहयोगी सामग्री उपलब्ध कराने के मकसद से साजिश रचने का अपना गुनाह कबूल लिया। बलविंदर यह जानता था कि उसकी मदद से विदेशों में आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया सकता है।
मेरी ने कहा, सिंह ने विदेश में हिंसा और हंगामे के मकसद से आतंकवादियों को सहयोगी सामग्री और संसाधन उपलब्ध कराने का प्रयास किया। उन्होंने कहा, अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद में शामिल व्यक्ति की पहचान, उसे रोकना और इसके लिए जिम्मेदार ठहराना अमेरिकी न्याय विभाग की शीर्ष प्राथमिकता है। झाजी, हैप्पी और बलजीत सिंह उर्फ बलविंदर सिंह को 2013 के दिसंबर में हिरासत में लिया गया था और गिरफ्तारी के बाद आरोप लगाया गया था। उसे कानूनी रूप से अधिकतम 15 साल की जेल और रिहा किए जाने के बाद देश से बाहर भेजे जाने की सजा हुई। उसकी सजा 27 फरवरी को तय हुई थी।
सिंह पर फर्जी पहचान से सान फ्रांसिस्को में रहने का भी अभियोग लगा है। अक्तूबर 2013 में सिंह और उसके सहयोगी इस बात पर सहमत हुए कि उनमें से कोई एक भारत जाएगा और भारतीय अधिकारी की हत्या या उसे अपंग करने के इरादे से हमले को अंजाम देगा और दक्षिण एशिया में पहुंचने पर ही अंतिम लक्ष्य को निर्धारित किया जाएगा। इसके लिए सिंह ने रात में देखने में सक्षम दो नाइट विजन चश्मे खरीदे और हमले को अंजाम देने के लिए एक चश्मा सहयोगी साजिशकर्ता को दे दिया। दिसंबर 2013 में सहयोगी साजिशकर्ता ने हमले को अंजाम देने के इरादे से सैन फ्रांसिस्को अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा से थाईलैंड के लिए विमान में सवार होने का प्रयास किया लेकिन अमेरिकी कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने उसे विमान में सवार होने से रोक दिया।
नतीजतन यह सुनियोजित हमला अंजाम तक नहीं पहुंच पाया। इसके बाद, सिंह को गिरफ्तार किए जाने तक वह और उसका सहयोगी लगातार चर्चा करते रहे और भारत में आतंकी हमले की साजिश करते रहे। बचाव पक्ष के वकील ने याचिका समझौता में इस बात का उल्लेख किया कि सिंह को यूएस कन्वेंशन अगेंस्ट टॉर्चर के तहत भारत नहीं, बल्कि किसी तीसरे देश में भेजना चाहिए।